
विजय शंकर पांडेय
5 नवंबर को हम सब के पुरनिया और थाती पद्मश्री कृष्णबिहारी मिश्र जी प्राकट्योत्सव है. वइसे बलिया जिला के बलिहार गांव में ओह साल बबुना मइया आ घनश्याम बाबा के अंगना में थरिया छठ मतलब सूर्य षष्ठी के दिन बाजल रहे.
इसे भी पढ़ें – कृष्ण बिहारी मिश्र – खोंइछा गमकत जाइ
बंगाल में रवींद्र नाथ टैगोर के भी जन्मदिन मनाने का उल्लेख 1930 में पहली बार मिलता है, जब वे सत्तर साल की उम्र पार कर चुके थे, मगर नोबल के चलते ख्याति के मामले में वे सरहदों के मोहताज नहीं रहे थे. कृष्णबिहारी जी की कर्मभूमि बंगाल में कहा जाता है कि पुरोनो चाल भाते बाड़े (পুরনো চাল ভাতে বাড়ে) और उनकी जन्म भूमि बलिया में कहा जाता है कि पुराने चाउर, पंथ बनेला. इसलिए उनके स्वस्थ जीवन और लंबी उम्र की कामना के साथ…. पिछले दिनों फोन पर बातचीत के दौरान उन्होंने मुझसे पूछा – का हो विजय शंकर …. तू हूं फेसबुक पर बाड़?
इसे भी पढ़ें – बलिहार के दुलरुआ साहित्यकार कृष्णबिहारी मिश्र को पद्मश्री सम्मान
This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE
हड़कावत रहे खातिर केहू चाही, ना त मनसरहंग हो जाइब जा.
(फेसबुक वाल से साभार)