
कहा तो जा रहा है कि धन की कमी आड़े नही आएगी, लेकिन यही आ रही आड़े
बैरिया(बलिया)। यद्यपि कि सरकार द्वारा खुले में शौच से मुक्ति के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. 2 अक्टूबर तक गांवो का ओडीएफ कराने के लक्ष्य पर तेजी से काम चल रहा है. लेकिन बयानों व समाचार पत्रों के माध्यम से जो दावे, बयान व चेतावनी दिए जा रहे हैं. योजना का उतना प्रभाव धरातल पर नहीं है.
यह सच है कि योजनान्तर्गत बहुत इज्जत घरों का निर्माण हुआ, हो रहा है. लोग सुविधा का लाभ उठा भी रहे हैं. लेकिन काफी गांवों में योजना सिर्फ हवा हवाई ही है.
बैरिया विधान सभा क्षेत्र में लगभग तीन दर्जन ऐसे रास्ते अभी भी हैं जिन पर लोग शौच करते हैं. बराबर गंदगी बनी रहती है. उन रास्तों से गुजरना मुश्किलों भरा काम होता है. सवाल उठता है कि क्या ऐसे गांवों के लिए इस अभियान की कोई प्रासंगिकता नही है. वहां के सचिव, प्रधान व गांव के लोग इस योजना के लिए जागरूक क्यों नहीं हुए यह यक्ष प्रश्न है.
दूसरी तरफ इस योजना में सरकारी तन्त्र भी बस उपरी दिखावा कर रहा है. काम की रश्म अदायगी की जा रही है. उदाहरण भी है. ग्राम पंचायत कोटवां की प्रधान जनक दुलारी देवी बताती हैं कि उनके यहाँ मनरेगा का 4.36 लाख रूपया इस योजना के लिए कनवर्ट हो गया. स्वीकृति के बाद लोग शौचालय बनवाने लगे. 36 लोग शौचालय बनवा चुके हैं. जो बनवाते गये आधा निर्माण पर आधा पैसा व पूरा निर्माण पर पूरा पैसा दिया जाने लगा. सभी पैसा लोगों के खाते में दिया गया. खाते का धन समाप्त हो गया है. 36 के बाद भी लगभग 14 और लोग काम शुरू किए उनके खाते में धन देना है. लेकिन धन समाप्त है.
प्रधान ने बताया कि बन रहे शौचालयों को देख कर और, धन मिलने पर बहुत और लोग भी इस उम्मीद से अपने यहां शौचालय बनाना शुरू कर आधे अधूरे पर अटके हुए हैं. खाते में धन न होने से हम लोगों के खाते में भेज नहीं पा रहे हैं. और धन की डिमांड की गई है. प्रधान ने बताया कि हमने लगभग 100 शौचालय बनवाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन धन न होने के वजह से काम रुका हुआ है.
यह तो उदाहरण भर है. इलाके में बहुत से ऐसे ग्राम पंचायत हैं जहां लोग इज्जत घर जागरूकता के साथ बनवाना तो चाहते हैं. परन्तु समस्या आड़े आ रही है. उधर नगर पंचायत इस योजना का हिस्सा नहीं है. अन्यथा कि स्थिति में कल के ग्राम पंचायत और आज के नगर पंचायत बैरिया को ओडीएफ कराना प्राथमिकता में रहना चाहिए. अकेले नगर पंचायत बैरिया में ही आधा दर्जन ऐसे रास्ते हैं जहां खुले में सड़क पर लोग शौच करते हैं.