उजड़ने की दहशत के बावजूद रसड़ा में फिर सज गईं दुकानें

रसड़ा (बलिया) | प्यारेलाल चौराहा से मंदा मोड़ तक रेलवे की अधिकृत भूमि पर एक बार फिर दुकानदारों ने दुकान सजाना प्रारंभ कर दिया है. उक्त रेलवे की भूमि पर दुकानों का सजना-सवरना और उजड़ना आम बात सी हो गयी है. इस जमीन पर दर्जनों परिवार दुकानदारी कर अपना तथा परिवार की जीविका चलाते हैं, जब से रसड़ा रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ की तैनाती की गई है, तब से इन दुकानदारों की शामंत आ गई है.

सूत्रों की माने तो आरपीएफ द्वारा गढ़िया से मंदा तक हर दुकानदारों ठेला खोमचा लगाने वालों से तय भाड़ा वसूला जाता है. दुकानदार अपना नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि हम लोग दुकान का भाड़ा प्रति माह  देते हैं. रेलवे का एक विभाग जब चाहता है, दुकानों का तोड़फोड़ मचा देता  है, तो दूसरा विभाग  कुछ ही दिन बाद पुनः दुकानदारों को बसा देता है.

विभाग की तनातनी में बेचारे गरीब दुकानदारों का आशियाना बनता उजड़ता रहता है. एक बार फिर विभाग की मेहरबानी से दुकानदार पैसा खर्च कर  अपना अपनी दुकान  बना कर दुकानदारी  करना शुरू कर दिए हैं. पता नहीं कब, दूसरे  विभाग की इन दुकानदारों पर टेढ़ी नजर हो जाए, दुकानदार भाड़ा देने के बाद भी सशंकित रहते है.  विभाग में वसूली पर हिस्सा के लेकर विवाद में दुकानदारों की शामत आती रहती है तथा इनका आशियाना उजाड़ने बसाने के खेल जारी रहता है. ⁠⁠⁠⁠

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