सिकंदरपुर (बलिया) से संतोष शर्मा
बहादुरपुर में सड़क दुर्घटना में मृत ईश्वरी प्रसाद उर्फ गोपाल राय का शव बुधवार की शाम को क्षेत्र के लीलकर गांव में स्थित उनके आवास पर आते ही परिवार वालों में कोहराम मच गया. शव के आने की सूचना गांव में फैलते ही जो जहां था वहीं से उनके आवास की तरफ चल दिया.
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कुछ देर में ही उनके आवास के आसपास सैकड़ों की भीड़ इकट्ठा हो गमगीन मुद्रा मे खड़ी हो गई. उधर, परिवार की महिलाओं के चित्कार व करुण क्रंदन की आवाजे भीड़ में शामिल लोगों का कलेजा फाड़ कर रख दे रही थी. ऐसे माहौल में सांत्वना के दो बोल कौन किसे सुनाए लोगों की समझ में नहीं आ रहा था. चंद लोग उसे समझाने की हिम्मत भी करते तो उनकी स्थिति देख कर स्वयं रोने लगते थे. भीड़ में शामिल लोग स्तब्ध शोकाकुल हो भगवान से जैसे पूछ रहे हो कि यह तूने क्या किया, क्यों किया, यही सोच कर लोग अपना जी कुछ हल्का कर लेते थे. मनुष्य के पास संतोष करने की सिवाय बचता ही क्या है.
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सौम्य व्यवहार वह हंसमुख व्यक्तित्व के धनी गोपाल राय का मिलन सार प्रवृति लोगों में काफी मशहूर था. ऐसे हर दिल अजीज व्यक्ति का अचानक उस स्थान को छोड़ चले जाना, जहां से कोई वापस नहीं आता लोगों के मन में एक चुभन पैदा कर गया. गोपाल राय एक शादी समारोह में भाग लेने हेतु मंगलवार की शाम को बलिया गए थे. रात में वापसी में बहादुरपुर पुल के समीप सामने से आ रही स्कार्पियो के धक्के से गंभीर चोट आने के कारण मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी. जीवन का एक महत्वपूर्ण समारोह में सम्मिलित होने के लिए की गई, उनकी बलिया यात्रा महायात्रा में बदल जाएगी, यह न तो उन्हें न हीं किसी अन्य को अंदाजा था.