
बैरिया: दुबेछपरा रिंग बंधे पर अपने परिवार, सामान और पशुओं के साथ आश्रय लिए करीब दो हजार बाढ़-कटान पीड़ितों के सामने भोजन का संकट है. अनशन-आंदोलन के बाद जिला प्रशासन ने दो बार 450-450 भोजन के पैकेट और शनिवार को सिर्फ 400 पैकेट बांटे हैं.
रिंग बंधा टूटने के बाद गोपालपुर, उदईछपरा, दुबेछपरा, केहरपुर, प्रसाद छपरा सहित डेढ़ दर्जन गांवों के लोगों के घर और खेतों में गंगा की बाढ़ का पानी आ गया. NDRF और PAC की मदद से बाढ़ पीड़ित सुघर छपरा से टेंगरही ढाला तक एनएच 31 पर टिक गये. उनके साथ उनके परिवार और पशु भी थे.

इधर जलस्तर घटने पर पांडेयपुर ढाला पर आश्रय लिए बाढ़ पीड़ित अपने घरों में लौट गए हैं. वहीं, उदईछपरा, प्रसाद छपरा, दुबेछपरा में अभी भी बाढ का पानी लगा हुआ है. लोगों के घरों और रास्तों पर तीन से छह फीट ऊंचा पानी लगा है. उन गांवों के करीब 500 परिवार अभी भी दुबेछपरा बंधे पर रुके हैं.
शुरू में विधायक सुरेंद्र सिंह ने यहां बाढ़ पीड़ितों के लिए 11 दिनों तक लंगर चलवाया. सुबह 10 बजे से देर शाम तक कटान पीड़ित वहां जाकर भोजन करते थे. रात में जिला प्रशासन भोजन के पैकेट भेज देता था. वहीं आने वाले समाजसेवी भी दोपहर में फूड पैकेट लोगों में बांटते थे.
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एक सप्ताह पहले विधाक का लंगर बंद होने के बाद 28 सितंबर से जिला प्रशासन ने भी खाने का पैकेट देना बंद कर दिया. इस बात पर इंटक नेता विनोद सिंह ने धरना दिया. जिला प्रशासन से बात करने पर शनिवार की सुबह बलिया से बने-बनाये 400 पैकेट लाकर बाढ़ पीड़ितों में वितरित किये गये.