सिकन्दरपुर (बलिया)। क्षेत्र में शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की बाढ़ आई हुई है. ग्रामीण इलाकों में दर्जनों स्कूल ऐसे हैं, जिनकी कोई मान्यता नहीं. एक दर्जन स्कूल ऐसे हैं, जिन पर मान्यता कम कक्षाएं लगाने की है, लेकिन ये संचालक बड़ी कक्षाएं की पढ़ाई करने में लगे हैं.
नियमों को ताक पर रखकर हो रहे इस खेल में शिक्षा विभाग की भूमिका संदेह में लग रही है, क्योंकि अगर शिक्षा विभाग कड़ाई से नियमों का पालन करे तो शिक्षा के नाम पर खोली हुई दुकानें इतने बड़े पैमाने पर नहीं पनपती. बगैर मान्यता के चल रहे ये स्कूल अभिभावकों से फीस के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं. शिक्षा विभाग कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति तक सीमित है. चल रहे बगैर मान्यता प्राप्त स्कूल बच्चों के दाखिला व फीस के नाम पर अभिभावकों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. बगैर मान्यता प्राप्त स्कूल संचालक दूसरों स्कूलों में दाखिला दिलाकर अपना काम चला रहे हैं, जबकि शासन का सख्त आदेश है कि बिना मान्यता का और बिना मानक पूरा किए हुए कोई भी विद्यालय संचालित नहीं हो सकते हैं, बावजूद इसके निर्भय होकर विद्यालय का संचालन करना एक सवाल खड़ा करता है.
कुछ स्कूल तो ऐसे हैं जिनके पास मान्यता कम कक्षाएं लगाने की हैं, लेकिन वे उच्च कक्षाएं लगाकर अभिभावकों को गुमराह कर रहे हैं. दसवीं पास टीचरों के माध्यम से संचालित स्कूल शिक्षा विभाग के साथ सरकार को भी चूना लगा रहे हैं. इन पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है. वहीं कुछ सरकारी स्कूलों में पढाने वाले अध्यापकों ने भी प्राइवेट विद्यालय खोल उसे ही चला रहे हैं और उन विद्यालयों में नहीं जा रहे है जहां से सरकार का पैसा लेते हैं.