सिकंदरपुर(बलिया)। क्षेत्र में आज कल जम के ताड़ी का सेवन किया जा रहा है. सड़क के किनारे लगे ताड़ के पेंड़ो के नीचे सुबह-दोपहर-शाम काफी संख्या में ताड़ी बाजों को देखा जा सकता है. कुछ तो यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि गर्मी का सबसे बड़ा इलाज ताड़ी है. वहीं कुछ ताड़ी का नशा चढ़ जाने के बाद अपना आपा खो नाचने गाने पर मजबूर हो जा रहे हैं, तथा इसे तरकुला रिष्ट का नाम दे रहे हैं. गाय भैस का दूध छोड अब लोग तरकुला रिष्ट लेने लगे है. सुबह शाम खेत खलिहान मे ताड़ी पीने वालों की लाईन लग रही है. वही देशी व विदेशी शराब से सस्ती ताड़ी कहे या आसमानी दूध जो सस्ता है. इन दिनो ग्रमीण क्षेत्रो में जम कर सेवन किया जा रहा है. काफी संख्या में 10 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक के बूढ़े भी जमकर तरकुला रिष्ट का लुफ्त उठा रहे हैं.