लगभग तीन साल पहले इस गाँव के मन्दिर से राम, सीता व लक्ष्मण की अष्टधातु की बहुमूल्य मूर्तियां चोरी हो गयी थीं. तब पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर गाँव वालों पर एहसान कर आराम से बैठ गयी. गाँव के बुजुर्ग मैना पाण्डेय उर्फ थलिस बिहारी पांडेय ने बताया कि यह गांव का सबसे पुराना मंदिर है. मंदिर जब जीर्ण होने लगा तो गाँव वाले मन्दिर के नव निर्माण का मन बनाये. निर्माण कार्य में सुविधा रहे इसलिये मन्दिर परिसर में ही तीनों मूर्तियां स्थान से हटाकर टीन शेड मे रख दी गयीं. गाँव के लोग पूजा भी करने लगे और निर्माण भी शुरू हो गया.
उसी दौरान तीन साल पहले मूर्ति चोरी हो गयी. मन्दिर में राम लक्ष्मण व जानकी की काफी ऊँची व भारी भरकम अष्टधातु की बहुमूल्य मूर्तियां स्थापित थी. जिसे गाँव के ही पूर्वज ने स्थापित कराया था. उसी गाँव के अधिवक्ता देव नारायण पाण्डेय ने बताया कि हल्दी थाने में प्राथमिकी के बाद गाँव के लोग थाने का चक्रमण करते-करते थक कर बैठ गये. इस बीच मन्दिर बन कर तैयार हो गया है. यह मन्दिर गाँव के लिये बहुत महत्वपूर्ण है. पूरे गाँव के हर घर का शुभ कार्य यहीं से शुरू होता है.
युवा संजय पाण्डेय ने बताया कि पुलिस ने कुछ नहीं किया. अब हम लोग निराश होकर यहाँ दूसरी मूर्ति स्थापित कराने की तैयारी में ही थे कि लगभग चार माह पूर्व वाराणसी के सारनाथ थाने पर गाजीपुर जिले का संजय राम नामक मूर्ति चोर लक्ष्मणजी की मूर्ति के साथ पकडा गया. वहां उसने बताया कि यह मूर्ति बलिया के बिगही गाँव निवासी संजय राम नामक व्यक्ति के सहयोग से बसुधरपाह गाँव के मन्दिर से चुराई गई है. समाचार पत्रों मे खबर पढ कर गाँव के लोग सारनाथ गए. मूर्ति की पहचान हुई. तब से हमलोग और मूर्तियों के बरामद करने व लक्ष्मणजी की मूर्ति दे देने के लिये सारनाथ व हल्दी थाने का चक्कर लगा रहे हैं.