रेलवे की जमीन पर बसाने और उजाड़ने का गोरखधंधा

रसड़ा (बलिया) | स्थानीय नगर स्थित प्यारेलाल चौराहा से मंदा गांव मोड़ तक रेलवे प्रशासन का अतिक्रमण पर डण्डा चला. एक बार फिर  गरीब दुकानदारों के झुग्गी झोपड़ियों को आरपीएफ पुलिस ने तोड़ दिया है. रेलवे द्वारा एक बार फिर अतिक्रमण हटाये जाने से गरीब दुकानदारों द्वारा  खाली जमीन पर दुकानदारी कर जीविका चलाने वालों के सामने  भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.

रेलवे की जमीन पर विभाग द्वारा बार बार दुकानदारों को बसाने उजाड़ने पर रेलवे विभाग की भूमिका  पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है . हर दो तीन महीने पर रेलवे द्वारा अतिक्रमण उन्मूलन अभियान चलाया जाता है. हर बार विभाग ही  दुकान उजड़ता है तथा पुनः विभाग ही दुकानदारों को बसाता है. सूत्रों की माने तो विभाग दो खेमों में बटा है. एक खेमा दुकानदारों से महीना का भाड़ा तय कर बसाता है तथा दूसरा खेमा उजाड़ता है. विभाग में पैसे को लेन-देन को लेकर इन छोटे छोटे दुकानदारों का झुग्गी झोपड़ियों को  बनाने एवं विगाड़ने का खेल खेला जा रहा  है.

नुकसान होता है तो उन दुकानदारों का होता है, जो बेचारे जैसे तैसे अपनी झुग्गी झोपडी तैयार कर उक्त जमीन पर रखते है. आलम यह है की विभाग को महीना शुल्क देने के बाद भी दुकानदारों को बार बार उजड़ना बसना पड़ता है, जो छोटे मोटे दुकानदारों द्वारा  जीविका चलाने के लिये किये जा रहे दुकानदारी पर  विभाग की दोहरी मार झेलने पर  मजबूर है. सवाल यह उठता है की विभाग की मौजूदगी में दुकानदार अपनी दुकान कैसे खड़ी कर लेते हैं, यह विभाग की मिलीभगत के बिना सम्भव नहीं है.

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