

गया/पटना से एस अनिता
कहते हैं राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता, चाहे वह मित्रता हो या शत्रुता. पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को कोस कर सियासत के आसमान पर बुलंदी को छूए थे नीतीश कुमार. पिछले विधानसभा चुनाव में सारे गिले शिकवे भूल कर वे लालू से गठबंधन कर बैठे. कामयाबी भी मिली, सत्ता में फिर लौटे. हालांकि हनीमून फेज खत्म होते ही सियासत के मैदान में उनके बीच फिर तलवारें खिंच गई हैं.
बताया जाता है कि बिहार में विधान परिषद चुनाव को लेकर जदयू और राजद गठबंधन में गांठ पड़ गई है. विधानसभा चुनाव की एकता अब कमजोर पड़ती दिख रही है. गया स्नातक क्षेत्र से लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद ने अपना प्रत्याशी उत्तर दिया है. इसके लिए लालू खेमे ने किसी सहयोगी दल से परामर्श करना जरूरी नहीं समझा. गया से विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह भाजपा के प्रत्याशी हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी गहरी आत्मीयता हैं. इसलिए माना जा रहा था कि नीतीश उनके खिलाफ महागठबंधन की ओर से कोई प्रत्याशी नहीं उतारेंगे, लेकिन राजद ने बिना तालमेल के जगदानंद सिंह के पुत्र डॉ. पुनीत को प्रत्याशी बना दिया है.

कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि वह आलाकमान से बात करेंगे. चौधरी ने जब तेवर आक्रामक किये तो पार्टी विधायक रामदेव राय ने भी राजद जदयू के खिलाफ आवाज़ उठाई. कहा कांग्रेस को भी काम से कम एक सीट मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष इस सम्बन्ध में केंद्रीय आलाकमान से कर रहे हैं बात. रामदेव राय सचिवालय में पत्रकारों से बात कर रहे थे.