क्या तेरा है क्या मेरा है, सारा जहां खुदा का है

बक्सर। जी हां, ऐसा लिखने की वजह कुछ और नहीं, आपसी एकता और भाइचारा है. बुधवार को जब बक्सर शहर के चरित्रवन इलाके में दूर-दराज से आए मेलार्थी पहुंचे तो नजारा देखने लायक था.

शहर जाम हो गया और धुंए से पट गया. इस भीड़ में नजर किला मैदान के सामने स्थित दरगाह दरिया शहीद पर गयी. इस परिसर में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं और पुरुष लिट्टी-चोखा बना रहे थे. दरगाह पर रहने वाले लोग भी जरूरत मंदों की मदद कर रहे थे.

उन्हें खाना बनाने और पीने के लिए पानी आदि उपलब्ध करा रहे थे. शहर की शान में कहीं बट्टा न लगे. इसके लिए हर सक्षम व्यक्ति ने अपने स्तर से मदद की. आपसी तालमेल ने इस त्योहार के आनंद को दूना कर दिया. इतना ही नहीं धर्म और मजहब किसी को बैर करना नहीं सीखता, यह बात सच होती दिखी.

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