गाजीपुर। करीमुद्दीन पुर स्थित ईक्यावन शक्ति पीठ में से एक प्रमुख पीठ मां कष्ट हरणी धाम में मंगलवार को अक्षय नवमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य पुजारी हरिद्वार पाण्डेय ने उपस्थित लोगों से इस व्रत का महत्व समझाते हुए कहा कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास के नवमी तिथि को आंवला नवमी कहा जाता हैं. पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आवंले के पेड़ पर ही निवास करते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के पूजन का भी बिशेष रूप से विधान है.
आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष के पूजन का बडा ही महत्व है. साथ ही खास तौर से पुत्र रत्न की प्राप्ति हेतु इस नवमी पूजन का हमारे देश में विशेष महत्व है. आंवला नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना कर दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. राम नवमी एवम सीता नवमी से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है आंवला नवमी. अन्य दिनों की तुलना में आंवला नवमी पर किया गया दान-पुण्य कई गुना अधिक लाभ दिलाता है. इसलिए ही कार्तिक शुक्ल नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है. इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. आज के दिन लोग घर से बाहर बाग बगीचे मठ मंदिर में आंवला बृक्ष के नीचे सपरिवार भोजन बना कर श्रद्धा पूर्वक भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण करते है. हर जगह भोजन बनाने में श्रद्धालु महिलाएं लगी है.