जब ‘बलिया लाइव’ बना माध्यम वर्षों से बिछड़े बेटे को उसके मां-बाप से मिलवाने में

रेवती (बलिया) से पुष्पेंद्र तिवारी सिंधु

गायघाट निवासी बुधन साहनी का एक दशक पूर्व लापता बेटा मंगलवार की दोपहर जब अपने घर पहुंचा तो परिजनों से लेकर मुहल्ले के लोग देखते ही अपने लाल को पहचान गए.
मां सावित्री व पिता बुधन संग रामकुमार, इनके पीछे उसे पालने पोसने वाले मगध विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उदय कुमार

करीब एक दशक पूर्व गुम हुआ बालक, आज जवान हो गया है. ‘बलिया लाइव’ उस खोए युवक उसके परिजनों से मिलाने का माध्यम बना. गायघाट निवासी बुधन साहनी का एक दशक पूर्व लापता बेटा मंगलवार की दोपहर जब अपने घर पहुंचा तो परिजनों से लेकर मुहल्ले के लोग देखते ही अपने लाल को पहचान गए. बुधन अपने बेटे रामकुमार से जब गले मिले तो दोनो के आंख से खुशी छलक गई. बगल में खड़े बालक का पालन पोषण करने वाले मगध विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उदय कुमार के साथ-साथ इस मार्मिक दृश्य को देख उपस्थित लोगों की आंखें भी भर आयी. अंत में रेवती पुलिस ने कागजी कार्रवाई पूरी कर बुधन को उसका बेटा सौंप दिया.

रामकुमार को पाल पोस कर अपने माता पिता को ढूंढने लायक बनाने वाले प्रोफेसर उदय कुमार

वर्ष 2006 में रामकुमार अपनी मां सावित्री, दादी सुकरी व चाची तेतरी के साथ करीब 8 वर्ष की उम्र में घास काटने बगल के खेत में गया था तथा भटकते भटकते लापता हो गया. उधर, यह बालक बेलागंजडीह, गया (बिहार) निवासी प्रो. उदय कुमार के भतीजे रंजन को रेलवे प्लेटफॉर्म पर लावारिस हालत में मिला. वे बालक को अपने घर लेकर ले गए. घर लाने के बाद उसके बाबत काफी प्रयास के बावजूद कोई सुराग नहीं लगा तो उदय कुमार का परिवार अपने बेटे की तरह उसकी परवरिश शुरू कर दिया.

बलिया लाइव से जुड़े रेवती निवासी पत्रकार पुष्पेंद्र तिवारी सिंधु, जो माध्यम बने खोए रामकुमार को उसके मां-बाप से मिलवाने में

प्रो. कुमार ने बताया कि इस बालक को उसके माता-पिता से मिलवाने की ललक थी, लेकिन बलिया व रेवती के अलावे कुछ नहीं मालूम था. उन्होंने बताया कि यह बालक खुद गुगल पर सर्च किया तथा सर्च में रेवती निवासी बलिया लाइव के पत्रकार पुष्पेन्द्र तिवारी सिंधु का मोबाइल नम्बर मिला. रेवती उक्त बालक के स्मृति में था, इसलिए उसने नम्बर मुझे दिया तथा बलिया लाइव के पत्रकार के माध्यम से राजकुमार का फोटो भेजा गया. पत्रकार फोटो के साथ गायघाट  बूधन को ढूंढ निकाले तथा परिजनों से फोटो की पहचान करवाने के बाद पुनः प्रोफेसर साहब को अवगत करवाए. वैसे यह बालक होली के बाद गायघाट तक पहुंचा था, लेकिन घर नहीं पहुंच सका था. प्रो. उदय कुमार इससे पहले भी दो भटके बालकों को उनके घर पहुचाने का कार्य कर चुके है.