‘गंगा बचाने के लिए फिर करना होगा भगीरथ प्रयास’

बलिया: ‘जिला गंगा समिति’ बलिया के तत्वावधान में एमएमटीडी कालेज बलिया के मनोरंजन हाल में “गंगा पर्यावरण संरक्षण एवं जन सहभागिता” विषय पर एक क्षेत्रीय विचार गोष्ठी आयोजित की गयी. कालेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष राकेश कुमार श्रीवास्तव ने अध्यक्षता की.

मुख्य अतिथि रहीं सामाजिक वानिकी प्रभाग के प्रभागीय निदेशक श्रद्धा यादव, विगशिष्ट अतिथि डा. अंजनी कुमार सिंह और डा. ऋषिकेश पाण्डेय और मुख्य वक्ता एससी कालेज के पूर्व प्राचार्य डा० अशोक कुमार उपाध्याय थे. गोष्ठी का शुभारंभ दीप जलाकर और सरस्वती वंदना के साथ हुआ.

गोष्ठी के संयोजक डा. गणेश कुमार पाठक ने कहा कि गंगा को हम मां कहते हैं जो हमारा पोषण करती है. नमामि गंगे योजना में जब तक सभी सहभागिता नहीं निभायेंगे, तब तक गंगा को पूर्णतः शुद्ध नहीं किया जा सकता है.

रमाशंकर तिवारी ने कहा कि गंगा को मुक्त नहीं कराने तक गंगा अविरल एवं स्वच्छ नहीं हो सकती. गिरीशनारायण चतुर्वेदी ने गंगा के वैज्ञानिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक पहलुओं पर विचाय रखे, जबकि डा० संदीप पाण्डेय ने गंगा में प्राप्त मछलियों के ऊपर अपना शोधपरक विचार रखा.

डा० अशोक कुमार सिंह ने जल में आर्सेनिक के बढ़ते प्रभाव और उससे उत्पन्न समस्याओं पर विचार रखे, जबकि डा० विनीतनारायण दूबे ने गंगा की उत्पत्ति से लेकर पूरे प्रवाह क्षेत्र के ऊपर प्रकाश डाला. विशिष्ट अतिथि डा. अंजनी कुमार सिंह ने गंगा जल के प्रदूषित होने के विभिन्न पहलुओं पर विचार रख संरक्षण के बारे में भी बताया.

गोष्ठी में डा. ऋषिकेश पाण्डेय ने गंगा प्रदूषण और सतत-अविरल प्रवाह में बाधक वैज्ञानिक पहलुओं पर विचार रखे. मुख्य वक्ता डा. अशोक कुमाय उपाध्याय ने गंगा के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार प्राकृतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर विचार रखे.

सअपने अध्यक्षीय भाषण में राकेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि गंगा अब पहले से शुद्ध हुई है, किन्तु हमें कभी गंगा को स्वच्छ और सतत प्रवाही बनाने के लिए निरन्तर प्रयास करना होगा. अंत में कालेज के प्राचार्य डा. दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार जताया.

गोष्ठी में विभिन्न कालेजों के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे. गोष्ठी को सफल बनाने में अभिनव पाठक, डा. धर्मेंद्र सिंह, डा. सुजीत वर्मा, डा. अजीत सिंह, डा. रामनरेश यादव, डा. सुनील कुमार ओझा, डा. संजीव चोबे, डा. सुनील कुमार चौबे ने अहम भूमिका निभायी.

इसके अलावा डा. सुनीता चौधरी, डा. वंदना पाण्डेय, डा. राजीव सिंह, डा. अनिल वर्मा, सुधीय कुश्वाहा, डा. नीरज शुक्ला, डा. शम्भूनाथ यादव, ज्ञानेन्द्र वर्मा और डा. सीके सिंह की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही.

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