क्रय केन्द्रों पर किसानों का धान खरीदने में हीलाहवाली

सिकन्दरपुर (बलिया)। सरकार के लाख प्रयास के बावजूद भी किसानों के धान की खरीद सरकार द्वारा स्थापित धान क्रय केंद्रों पर नहीं हो पा रही है. प्रदेश की सरकार तो उन्हें उनके ऊपर का मूल्य देना चाह रही है. लेकिन इसका लाभ बिचौलिए व्यापारियों को ही और स्थानीय कर्मचारियों की मिलीभगत से मिल पा रहा है. इसको लेकर किसान आज भी परेशान है. जिला प्रशासन की स्वीकृति के बाद भी सरकारी धान क्रय केंद्रों पर धान की खरीदारी में स्थानीय कर्मचारियों द्वारा हीलाहवाली की जा रही है. जिसके कारण किसानों के धान की खरीद नहीं हो पा रही है. जिसके फलस्वरुप किसान प्राइवेट दुकानदारों को सस्ते मूल्य पर अपना धान बेचने के लिए मजबूर होकर 1150 प्रति कुंतल धान बेचने को मजबूर है. जब की सरकारी कीमत ₹ 1550 से 15 90 कुंतल के दर से होने के बाद भी किसानों को प्रति कुंतल 300 से ₹400 का नुकसान हो रहा है. वही साधन सहकारी समितियों एवं गोदामों पर कर्मचारियों की उपस्थिति ना होने के कारण भी किसान परेशान है. किसी भी साधन सहकारी समिति पर कोई कर्मचारी उपस्तित नही रहता है. कोई साधन सहकारी समिति तो ऐसे हैं जो हमेशा बंद ही रहते हैं. कागजों में ही धान और गेहूं खरीद दर्ज कर बिचौलियों को सरकारी लाभ दे दिया जाता है. कही अगर खुलता भी है तो कर्मचारी बोरा न होने का बहाना बनाकर तो कभी मिल के एलाट ना होने का बहाना बनाकर किसानों को परेशान किया जा रहा है. जिला पंचायत सदस्य अनन्त मिश्रा ने कहा कि स्थानीय कर्मचारी जानबूझकर लेट कर रहे हैं. ताकि दुकानदारों से धान की खरीद को पूरा किया जा सके. इस सम्बंध में कठौड़ा के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि डीके चौधरी ने बताया कि हमारे गांव स्थित साधन सहकारी समिति को भी कागजो में क्रय केंद्र तो बनाया गया है. लेकिन आज तक यह क्रय केंद्र नही खुला, जबकि यहां भवन भी व गोदाम भी उपलब्ध है. उपजिलाधिकारी सिकन्दरपुर राजेश कुमार यादव ने कहा कि सभी केंद्रों के संचालन की जिमेदारी कर्मचारियों को दी गईं है. अगर ऐसी शिकायत है तो जांच कराकर करवाई की जाएगी.

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