सुदिष्ट बाबा ने आध्यात्मिक चेतना के साथ लोक मंगल की भी अलख जगाई

बैरिया(बलिया)। इण्टर कालेज सुदिष्टपुरी परिसर में मंगलवार को सुदिष्ट बाबा के निर्वाण दिवस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि संत विनय ब्रह्मचारीजी महाराज ने कहा कि संत का जीवन निर्मल जल के समान होता है. जो मानव, पशु, पक्षी, वनस्पति सबको सुख पहुंचाता है. संत सुदिष्ट बाबा अपने समय के ऐसे ही संत रहे है. आध्यात्मिक चेतना के साथ जनकल्याणकारी कार्यों के लिए भी लोगों को प्रेरित किए. गृहस्थ जीवन सबसे कठिन जीवन होता है. लेकिन इसमें अपने आप पर स्व नियन्त्रण के साथ किसी को पीड़ा पहुचाने वाला कार्य नही करना चाहिए. संतो के जीवन से एक यह भी शिक्षा मिलती है कि सीमित संसाधनों में जीवन जीया जाय.
इसी अवसर पर बाबा राम बालक दास जी महाराज ने कहा कि संत सुदिष्ट बाबा ने अपने जीवन में सबसे ज्यादा जन कल्याण का कार्य किए. धर्मशाला, रास्ते, पुल, शिवालय तथा यहा धनुषयज्ञ मेला के माध्यम से विवाह की जो परम्परा डाली गई वह सतत जारी रहना चाहिए. संत का आदर व उनके सिखाये गए रास्तों पर चलना चाहिए. इस अवसर पर इण्टर कालेज सुदिष्टपुरी, जमालपुर, पीजी कालेज सुदिष्टपुरी सहित आस पास के विद्यालयों के शिक्षक, समाजसेवी आदि ने गांवों मे सन्त सुदिष्ट बाबा से सम्बंधित चर्चित स्मृतियों, कथाओं आदि को दोहराते हुए उन्हें नमन किया. इस अवसर पर देवतानन्द राय, डा. एके सिंह, प्रेमशंकर सिंह, श्रीराम सिंह, रामजी राम, आलोक सिंह, संतोष पाण्डेय, सुनील सिंह, पवन कुमार आदि दर्जनों लोग उपस्थित रहे. संचालन प्रधानाचार्य अशोक कुमार पाण्डेय ने तथा समस्त आगन्तुकों के प्रति आभार सतीश कुमार सिंह मनु ने व्यक्त किया.

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