इब्राहिमाबाद पशु मेला में पसरा सन्नाटा, नहीं पहुंचे बाहरी व्यापारी

बैरिया (बलिया)।  बलिया पशु मेला से एक सप्ताह बाद से शुरू होने वाले सन्त सुदिष्ट बाबा के नाम पर इब्राहिमाबाद मे तीन सप्ताह तक चलने वाले पशु मेला  में सन्नाटा पसरा है. यह मेला जिला पंचायत द्वारा लगाया जाता है और जिला पंचायत को इस मेले से अच्छे राजस्व की प्राप्ति होती रही है, लेकिन बड़े नोट बन्दी का असर इस मेला पर पड़ा है. न तो बाहर से अपने पशुओं की खेप लेकर व्यापारी आए और न ही बाहरी खरीदार.

यह मेला किसानों के आर्थिक सुधार का एक महत्वपूर्ण आधार माना जाता है. गम्भीरता से देखने पर यह मेला चार चरण व चक्र वाला रहता है. यहां के किसान व कृषि मजदूर अपने वृत्ति के साथ सहायक वृत्ति के रूप मे पशुपालन को प्रमुखता देते हैं. बलिया  के ददरी मेले से खेतों की जुताई लायक बैल खरीद कर लाते है. जल्दी जल्दी अपनी कतिकी खेती निपटा कर इस मेले में बेच देते हैं. अपना तैयार किया बछड़ा, बछिया व पड़िया भी बेचते हैं. खरीदार में सबसे ज्यादा ग्राहक बिहार के पशुपालक व व्यापारी रहते हैं. इस मेले के अन्तिम चरण में इलाकाई किसान व पशुपालक दुधारू गाय भैंस व तैयार करने के लिए बछिया व पड़िया तथा बछड़े खरीदते रहे हैं.

यह यहां के किसानों कृषि मजदूरों के साइड प्रॉफिट की परम्परागत चली आ रही व्यवस्था रही है. इस बार मेले में नोट बन्दी का व्यापक असर पड़ा. लगभग 18 एकड़ में पशुओं की रेलमपेल वाले इस मेले मे बहुत कम पशु आ रहे हैं. उसमे भी इलाकाई किसान ही अधिक आ रहे हैं, जबकि यह पशु मेला 16 नवम्बर से ही शुरू हो चुका है. मेले के पहले चरण में बैल व बछड़े बिक्री के लिए आते हैं. हालांकि ट्रैक्टर से खेत कि जुताई व बुआई के वजह से बैल व बछड़े रखने का चलन कम हो गया है. बावजूद इसके लोग शौकिया तौर पर बैल बछड़े पालते हैं. मेले के चलते मुनाफा भी कमाते हैं, लेकिन इस साल मेला जमने से पहले उजड़ा उजड़ा सा दिख रहा है.

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