श्रीमद् भागवत कथा से मिलता है प्राणियों को सहारा

बलिया। विकासखंड दुबहर के नगवा गांव में परमात्मा नंद चौबे के आवास पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का प्रारंभ मंगलाचरण से सोमवार को देर शाम हुआ. श्रीमद् भागवत सप्ताह यज्ञ में भागवत महात्म्य पर प्रकाश डालते हुए जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी राजनारायणाचार्य ने कहा कि ज्ञान यज्ञ ही उपयोगी है तथा यह सबसे बड़ा यज्ञ है.

स्वामी जी ने कहा कि जिस व्यक्ति का आचरण शुद्ध है उसी का चरण स्पर्श किया जा सकता है. भगवान श्रीकृष्ण के आचरण को विशुद्ध बताते हुए कहा कि उनका ध्यान करना ही मंगलाचरण है. बताया कि पाप का परिणाम कुछ ही दिनों में मनुष्य को मिलने लगता है, जिसे ताप कहते हैं. दैहिक दैविक भौतिक तीन प्रकार के ताप बताते हुए कहा कि यदि जीवन में किसी व्यक्ति को कहीं कष्ट हो रहा है तो निश्चित रुप से वह उसके द्वारा पूर्व में किए गए खराब कर्मों का ही फल है.

उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के श्री चरणों में अपने को समर्पित करने से पाप एवं ताप दोनों से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती है. चाहे वह कितना भी बड़ा पापी क्यों न हो उसका सभी प्रकार से मंगल हो जाता है और वह पाप से मुक्त हो जाता है. श्रीमद् भागवत कथा के बारे में स्वामी जी ने कहा कि धन रहने पर भी सभी लोग भागवत कथा नहीं करा सकते, जब तक कि उन पर प्रभु की कृपा नहीं होगी. भागवत सप्ताह यज्ञ वही करा सकता है, जिन पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बरस रही है. उन्होंने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि इस कथा के माध्यम से सभी प्राणियों को सहारा मिल जाता है. ज्ञान यज्ञ और आरती करने के बाद कथा विश्राम हुआ. ज्ञान यज्ञ से पूर्व पं. अश्विनी कुमार उपाध्याय ने वेदी पूजन कराया और नीतीश शास्त्री ने श्रीमद्भागवत का पारायण किया.

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