दरिद्र एवं दुखीजन की सेवा ही प्रथम धर्म- दयाशंकर सिंह

स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर बोले राज्यमंत्री
सिकन्दरपुर, बलिया. स्वामी विवेकानन्द जयन्ती के अवसर पर जू o हा ० स्कूल सिकन्दरपुर में आयोजित विचारगोष्ठी सभा को सम्बोधित करते हुए दयाशंकर सिंह राज्य मंत्री स्वतन्त्र प्रभार उ ० प्र ० ने बताया कि भारत भ्रमण के दौरान यहाँ की गरीबी एवं दरिद्रता को देखकर स्वामी जी का हृदय द्रवित हो उठा था और उन्होंने “दरिद्र देवो भव” का नारा दिया. उन्होंने धर्म का प्रथम कर्तव्य दरिद्र एवं दुखीजन की सेवा करना बताया. स्वामी जी ने देश की समस्या दूर करने के लिए जातिगत नहीं राष्ट्रगत परिश्रम करने का आवाहन किया. आज प्रधानमंत्री मोदी जी उसी सोच के साथ सबका साथ, सबका विकास एवं सबका विश्वास के नारे के साथ समाज के अन्तिम व्यक्ति तक के जीवन में खुशहाली लाने का कार्य कर रहे हैं.

सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त ने बताया कि स्वामी जी पुरोहितों के पाखण्ड को देश के विकास में बाधक मानते हुए कहा था कि अगले 50 वर्षो तक सभी देवी देवताओं को भूलकर मात्र भारत माता की आराधना करो और इनकी उन्नति के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दो. पूर्व मंत्री राजधारी ने बताया कि शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में अपने सम्बोधन में महान भारतीय संस्कृति एवं सोच से दुनिया को अवगत कराया. युवाओं का आवाहन करते हुए स्वामी जी ने कहा कि उठो, जागो और अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक विश्राम न लो आज प्रधानमंत्री मोदी जी अहर्निश भारतीय संस्कृति एवं भारत के पुनरूत्थान के लिए कार्य कर स्वामी जी के सपने को पूरा करने में लगे है. विचारगोष्ठी को प्रमुख रूप से भगवान पाठक पूर्व विधायक , सुरेश सिंह, रणजीत राय, मंजय राय, दयाशंकर भारती, बैजनाथ पाण्डेय, नसीम चिस्ती, राकेश गुप्ता, रामायण सिंह, सुदामा राय, अशोक सिंह डायरेक्टर, विमलेश राय, संतोष यादव, मोहनकांत राय, मुहू सिंह, सुनील सिंह, अजय कुमार सिंह आदि ने सम्बोधित किया. सभा की अध्यक्षता हेमन्त मिश्र एवं संचालन भोला सिंह ने की .

सिकंदरपुर से संतोष शर्मा की रिपोर्ट

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