सिकंदरपुर (बलिया) से संतोष शर्मा
बारिश की कमी व अन्य कारणों से क्षेत्र के पोखरे व गड़हियों के सुख जाने से जहां पानी की किल्लत बढ़ गई है, वहीं अनेक ऐतिहासिक पोखरे अतिक्रमण की चपेट में अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं. उन्हीं में एक है नगर के पूर्वी – दक्षिण भाग में मौजा किलाकोहना में स्थित ऐतिहासिक किला का पोखरा. जिसे सदियों पूर्व तत्कालीन बादशाह सिकंदर लोदी के निर्देश पर किला के निर्माण के समय खुदवाया गया था. तब यह पोखरा खास था.
इसका मात्र बदशाह के किला में निवास करने वाले कारिंदे ही उपयोग करते थे. उस समय इस पोखरा का पानी इतना स्वच्छ रहता था कि वहां से गुजरने वालों के पास उसे देखने के लिए ठिठक जाते थे. बादशाहत की समाप्ति के बाद अंग्रेज शासन में पोखरा को आमजन के उपयोग के लिए छोड़ दिया गया तब उसमें सुबह से देर शाम तक नहाने वालों की भीड़ के कारण आस पास का इलाका काफी गुलजार रहता था. बाद में देखरेख व सफाई के अभाव में पोखरा का पानी तो गंदा होता ही गया, उसके दक्षिण व पूर्वी भीटों के साथ ही पोखरा पर भी अतिक्रमण का जो दौर शुरू हुआ वह आज भी बदस्तूर जारी है, फलतः उसका रकबा तो घटता ही जा रहा है, पोखरा में गंदगी के कारण लोग उसमें नहाना तो दूर उसके समीप से गुजरते समय नाक पर रुमाल रखने को विवश हो जाते हैं. असचर्य तो यह है कि इस ऐतिहासिक धरोहर के आस्तित्व ,रक्षा व पुराना गौरव दिलाने हेतु किसी भी सूरत से प्रयास नहीं किया जा रहा है, जो लोगों के संवेदनहीनता का द्योतक है.