पीएचसी कोटवा – कहां गए सवा चौदह लाख, जमीन खा गई या आकाश निगल गया

बैरिया (बलिया)। पीएचसी कोटवा के सवा चौदह लाख रुपये जमीन खा गई या आकाश निकल गया, यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है. अपने भुगतान की उम्मीद लगाए मरीज और आशाएं आज भी अस्पताल के गणेश परिक्रमा कर रही हैं. उन्हें यही जवाब दिया जाता है कि पैसा नहीं आया है. आएगा तो भुगतान कर दिया जाएगा.

यह धन आज का नहीं, बल्कि अक्टूबर 2011 से मार्च 2012 तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोटवा पर जितने भी प्रसव हुए उन प्रसूताओं और आशाओं को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि है. तब के दौरान का 609 मरीजों और 955 आशाओं का भुगतान नहीं किया गया है. अस्पताल पर एमओआईसी और लिपिक बराबर यही जवाब देते रहे हैं कि उस दौरान का धन नहीं आया है. जबकि उसके पूर्व और उसके बाद के धन का भुगतान नियमित है.

बता दें कि जननी सुरक्षा योजना अंतर्गत अस्पताल में प्रसव होने पर प्रसूता को 14 सौ रुपए और आशा कार्यकर्ती को 600 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इसके अलावा नसबंदी, टीकाकरण, फाइलेरिया, मलेरिया, टीवी आदि विभिन्न अभियानों में आशाओं को कार्य करने पर अलग-अलग दरों पर प्रोत्साहन राशि दी जाती है. जो पीएचसी कोटवा मे अक्टूबर 2011 से मार्च 2012 तक के कार्यों का भुगतान किया ही नहीं गया. उस दौरान 7 मार्च 2012 की प्रसूता सुनीता देवी पत्नी नारायण वर्मा व 26 मार्च 2012 की प्रसूता सरस्वती देवी पत्नी नंदू देवी निवासीगण देवकी छपरा का कहना है कि हम जैसे कई जच्चा अस्पताल पर जाते-जाते थक चुके हैं. सरकार तो हम लोगों के लिए धन देती है. लेकिन यहां हमें कोई प्रोत्साहन राशि नहीं दिया गया. हर बार यही जवाब दिया गया कि उस दौरान का धन आया ही नहीं. अगर कभी आएगा तो आप लोगों के खाते में भेज दिया जाएगा. सवाल यह उठता है कि उसके पूर्व का और उसके पश्चात का भुगतान तो हुआ, लेकिन उस दौरान का लगभग सवा चौदह रुपये कहां चला गया?

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