दुबहड़(बलिया)। स्वाधीनता संग्राम के वीर सपूत शहीद मंगल पांडे के पैतृक गांव नगवां में उनके नाम पर संचालित होने वाली संस्थाएं उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं. जिसके कारण क्षेत्रीय लोगों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. बताते चलें कि शहीद मंगल पांडे के पैतृक गांव नगवा में स्थित इंटर कॉलेज में अभी तक सैकड़ों बार पत्राचार के माध्यम से विज्ञान वर्ग की मान्यता के लिए पत्राचार करने के बाद भी विज्ञान वर्ग के विषयों की मान्यता नहीं हो पाई. यही नहीं इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली सैकड़ों छात्राओं के लिए एक अदद रास्ता भी विद्यालय में जाने के लिए नहीं है.
वहीं दूसरी तरफ शहीद मंगल पांडे के नाम पर नगवां में बने राजकीय महिला महाविद्यालय को निर्माणाधीन एजेंसी द्वारा अभी तक हैंडओवर न किए जाने से विद्यालय में प्रयोगशाला सहित कई सुविधाएं सुचारु रुप से संचालित नहीं हो पा रही हैं. इसके लिए विद्यालय के प्राचार्य रामप्रकाश कुशवाहा ने कई बार निर्माण एजेंसी को पत्र लिखकर विद्यालय को पूर्ण रूप तैयार करने की बात भी कही. लेकिन निर्माणाधीन एजेंसी के कान में जूं तक नहीं रेंग रहा है. अगर यही स्थिति रही तो यह विद्यालय कब हैंडओवर होगा यह कहा नहीं जा सकता. इसके अलावा सबसे बड़ी विडंबना तो यह है शहीद मंगल पांडे जी के पैतृक गांव में उनके स्मृति में बनाए गए स्मारक पार्क की स्थिति देखरेख के अभाव में जर्जर हो चुकी है. वहीं उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के लिए ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से कई बार सीढ़ी अथवा लिफ्ट बनाने की मांग की, लेकिन आज तक नहीं बन पाया.
स्वाधीनता संग्राम के प्रथम शहीद मंगल पांडे के गांव में हो रहे निर्माण कार्यों में विलंब तथा स्मारक के जर्जर हालत पर मंगल पांडे विचार मंच के अध्यक्ष कृष्णकांत पाठक ने जिले के जनप्रतिनिधियों से आगे आने की अपील की. कहा कि बलिया ही नहीं बल्कि संपूर्ण राष्ट्र के गौरव के रूप में जाने जाने वाले मंगल पांडे जी की स्मृति में चल रही संस्थाओं को गति प्रदान करने तथा उनकी देखरेख की जिम्मेदारी नैतिक रुप से जनप्रतिनिधियों की भी बनती है. इसमें उन्हें रूचि लेकर आगे आना चाहिए.