
बैरिया, बलिया. प्रत्येक व्यक्ति को अपने कमाई के दस प्रतिशत अंश आध्यात्मिक कार्यो में खर्च करना चाहिए और ईश्वर के द्वारा प्रदत्त अपने अमूल्य जीवन (24 घण्टे) से भी 10 प्रतिशत अर्थात कम से कम ढाई घंटे ईश्वर की आराधना में लगाना चाहिए. ईश्वर की अराधना से व्यक्ति अपने मनचाहा लक्ष्यों को सहजता से प्राप्त कर सकता है.
उक्त आध्यात्मिक प्रवचन देश के माने-जाने संत स्वामी हरिहरानंद जी के है जो विगत दिन देर शाम पांच दिवसीय प्रतिष्ठात्मक शतचण्डी महायज्ञ में ग्राम कर्णछपरा (शिवमंदिर) पर हजारों श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि व्यक्ति जब संकट अथवा असाध्य रोगों से ग्रसित होता है तब उसे ईश्वर की याद आती है, अगर अपने दैनिक जीवन में ईश्वर का स्मरण और अपने परिवार में आध्यात्मिक संस्कार पहले से ही डाला जाय तो ऐसी संकट और मुसीबतों की नौबत आएगी ही नही. श्रीस्वामी जी ने कहा कि ईश्वर के भजन और कीर्तन से केवल लाभ ही लाभ है, नुकसान कुछ भी नही. फिर भी व्यक्ति की रुचि इस ओर आकर्षित होने में कठिनाई क्यो ? उन्होंने कहा कि आने वाला समय दुनिया के लिए काफी भयानक सिद्ध हो सकता है, ऐसे में धन- दौलत और व्यक्ति के अभिव्यक्ति पर आध्यात्मिक शक्तियां ही भारी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति अगर केवल 15 मिनट का समय दे तो किसी भी गांव में सहजता से सास्वतखण्ड चलाया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि श्री शतचण्डी महायज्ञ का शुभारम्भ सोमवार को विशाल जलयात्रा के साथ शुरू हुआ था और संत शिरोमणि श्री हरिहरानंद के निर्देशन में पांच दिवसीय प्रतिष्ठात्मक शतचण्डी महायज्ञ इन दिनों अपने पूरे शबाब पर है. महायज्ञ में प्रति दिन हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है . मंगलवार को मण्डप प्रवेश, वेदी पूजन, पाठ प्रारंभ व कर्मकुंटी और जलाधिवास सम्पन्न होने के साथ बुधवार को अन्नादिवास व अरणी मंथन के साथ नित्य सप्तसती श्री दुर्गा पाठ 13 विद्वान यज्ञाचार्य व 26 यजमानों द्वारा किया जा रहा है.
बृहस्पतिवार को महास्नान, नगर परिक्रमा तथा शय्याधिवास होगा. इस अवसर पर शुक्रवार को महायज्ञ की प्रसाद ग्रहण हेतु विशाल भंडारा का भी आयोजन किया गया है. इसी दिन (10 फरवरी को) महायज्ञ के पूर्णाहुति के दौरान सन्त शिरोमणि श्री हरिहरानंद जी के करकमलों द्वारा नव निर्मित श्री दुर्गा जी के मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा भी होगी.
बैरिया से शशि सिंह की रिपोर्ट