बलिया लाइव संवाददाता
सिकन्दरपुर। गांव में ही लोगों को जीवन रक्षक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार ने लगभग हर ब्लॉक में स्वास्थ्य सेंटरों का जाल सा बना रखा है. बावजूद इसके उच्च अधिकारियों की उदासीनता व अकर्मण्यता से अधिकांश स्वास्थ्य सेंटर बेमतलब साबित हो रहे हैं. गांव में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटीलेटर पर चल रहे हैं. यह केंद्र चाहरदीवारी से अस्पताल होने का भ्रम तो बताते हैं किंतु स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर यहां कॉटन, दवा और इंजेक्शन मिलना तो दूर वहां के स्वीपर तक के दर्शन नहीं होते. जिस कारण अधिकांश स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल के बजाय भूत बंगला के समान हो गए हैं.
स्वास्थ्य सेवा के नाम पर पूरी तरह से फिसड्डी
सिकंदरपुर तहसील अंतर्गत अकेले नवानगर ब्लाक पर नजर डाले तो कई पीएचसी हैं. इनमें अधिकांश सिर्फ चहरदिवारी से ही अस्पताल की तरह नजर तो आते हैं, पर स्वास्थ्य सेवा के नाम पर पूरी तरह से फिसड्डी हैं. सिकंदरपुर से 6 किलोमीटर दूर काजीपुर गांव का पीएचसी जब बनाया गया था तो ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं था. छोटी बड़ी बीमारियों के इलाज, प्रसूताओं को गांव में ही मिलने वाले चिकित्सीय लाभ की परिकल्पना के साथ ग्रामीणों ने उक्त अस्पताल बनाने में भी पूरी सहायता की. किंतु पीएचसी बनने के दौरान अधिकारियों की उस दौरान आना जान तो बहुत रहा, लेकिन अब डॉक्टर के दर्शन भी दुर्लभ है. न तो वार्ड ब्वाय, नहीं चपरासी और नहीं वहां पर किसी प्रकार की कोई सुविधा पाई जाती है.
पीएचसी के चारों तरफ झाड़ झंझाड़ उग आए
स्वास्थ्य के प्रति घोर लापरवाही का आलम यह है कि उक्त पीएचसी के चारों तरफ झाड़ झंझाड़ उग आए हैं. चहारदीवारी टूट गई है, हैंड पाइप कचरों से भरा है. यदि ऐसा ही रहा तो वहां अपने रोग को ठीक कराने जाने वाला मरीज और बड़ा रोगी बन जाएगा. ग्रामीणों ने इस तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है, जिससे कि गांव तथा अगल-बगल के अन्य गांवों को सुविधा मुहैया कराई जा सके.