कारगिल युद्ध में सेना के शौर्य से पूरी दुनिया चकित थी – मेजर चतुर्वेदी

बलिया। नागाजी सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय माल्देपुर में कारगिल विजय दिवस आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अवकाश प्राप्त मेजर अनिल चतुर्वेदी ने अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि भारत में जब-जब कारगिल का जिक्र होता है, तब-तब शौर्य गाथायें सामने आती हैं, जबकि पाकिस्तान में एक और गलती के रूप में याद किया जाता है. भारतीय सेना ने आपरेशन विजय चलाकर न सिर्फ घुसपैठियों का यहां से भागने पर मजबूर कर दिया, बल्कि पूरी दुनिया में पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया. जुलाई 1999 में कारगिल के युद्ध में भारतीय सेना के युद्ध कौशल और शौर्य को देखकर पूरी दुनिया चकित थी. हिमालय की उॅंची चोटियों पर घुसपैठ करके बैठे दुश्मनों से हमारे जवान से लोहा ले रहे थे. दुश्मन हमारे जवानों को आसानी से निशाना बना रहे थे. बावजूद इसके उॅंची चोटियों की खडी चढाई में भी भारतीय सेना के बहादुर जवान पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे धकेलने पर मजबुर कर रहे थे.


कार्यक्रम के अध्यक्ष शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रान्त के मंत्री अक्षय ठाकुर ने कहा कि भारत बहादुर योद्धाओं की भूमि है, उसके लिये लड़ते हैं जो हमारा है. हमारी भारतीय सेना ऐसी योद्धाओं से भरी है, जब 1999 में हमने पाकिस्तान के विरूद्ध कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त की तो विश्व ने हमारे भारतीय सेना की बहादुरी को सलाम किया. इस जीत का जश्न मनाने के लिए पूरे भारत में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है.
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य अरविन्द सिंह चौहान ने मुख्य अतिथि के साथ मां सरस्वती, भारत माता तथा भगवान ओउम् की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर तथा पुष्पार्चन करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया. विद्यालय के प्रधानाचार्य अरविन्द सिंह चौहान ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वाभिमान व सम्मान की रक्षा के लिए भारतीय जवानों ने करो या मरो का सिद्धान्त अपना लिया था. उन्होंने पाकिस्तानी सेना को अपनी सीमा से बाहर करके फिर से तिरंगा झंडा लहराया. भारतीय सेना अपने देश के लिए सदैव तैयार रहती है, चाहे कोई भी स्थिति हो, आतंकवाद से लड़ने, प्राकृतिक आपदाओं में राहत पहुंचाने तक में उसकी भूमिक स्तुत्य है. कारगिल युद्ध एक ऐसी घटना है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. भारतीय सेना एक ऐसी माता की तरह है, जो निःस्वार्थ भाव से कार्य करती है और बदले में कुछ नहीं मांगती.
इस अवसर पर विद्यालय के प्रबन्धक डॉ. प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों को आभार प्रकट किया. कहा कि यो़द्धा जन्म नहीं लेते है, भारतीय सेना में बनते हैं. इस अवसर पर संजीव कुमार सिंह, उमेश जी, मस्तराज सिंह, श्रीनिवास द्विवेदी, संतोश पाण्डेय, रामजी ठाकुर आदि सहित सभी आचार्य गण एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे.

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