बलिया में दो-तीन महीने पहले सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं की जम कर खरीद हुई, हालांकि काफी सारे किसानों का यह भी कहना था कि अधिकारियों की मनमानी से उनका गेहूं खरीदा ही नहीं गया. बहरहाल इस दौरान भारी मात्रा में गेहूं बेचने वाले एक नई तरह की मुसीबत में फंस गये हैं, मुसीबत यह है कि साल में तीन लाख रुपये से अधिक का धान व गेहूं बेचने वाले ऐसे लखपति किसानों के नाम अब राशन कार्ड से कट सकते हैं।
शासन के निर्देश पर ऐसे किसानों का सत्यापन शुरू हो गया है। सरकारी क्रय केंद्रों पर आनलाइन गेहूं व धान बेचने वाले किसानों का या मामला आधार से लिंक होने की वजह से सामने आया है। शासन की तरफ से जारी सूची में तीन लाख रुपए से अधिक कीमत का गेहूं व धान क्रय केंद्र पर बेचने के बाद भी राशन कार्ड पर सस्ता अनाज का लाभ लेने वाले सबसे अधिक बलिया में हैं। बलिया में इनकी संख्या 2492, मऊ में 2272 और आजमगढ़ में 344 है।
दरअसल सरकार ने धान व गेहूं सरकारी दर पर क्रय केंद्रों पर बेचने के लिए किसानों का आनलाइन पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। धान और गेहूं की बिक्री के दौरान बैंक खाता, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड के साथ खतौनी का दस्तावेज भी लगता है। आपूर्ति विभाग को आधार के माध्यम से जिले के ऐसे 2492 बड़े किसानों की जानकारी मिली जिन्होंने तीन लाख से अधिक रुपये का धान, गेहूं सरकारी क्रय केंद्र पर बेचा है। इसके बाद भी वह हर महीने कोटे की दुकान से राशन उठान कर रहे हैं। इनका सत्यापन कर ऐसे लोगों के नाम राशन कार्ड से काटने की तैयारी में जिलापूर्ति विभाग जुट गया है।
जिले में अलग-अलग योजनाओं के तहत राशन कार्ड से रियायती दरों पर तथा मुफ्त में भी अनाज मिलता है हालांकि इसके लिए नियम भी हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत ग्रामीण क्षेत्र में निष्कासन आधार के तहत ऐसे परिवार जिनके पास पांच एकड़ से अधिक सिंचित जमीन या सभी सदस्यों की आय दो लाख सालाना से अधिक है उन्हें सस्ते राशन का लाभ नहीं मिल सकता। जिलापूर्ति अधिकारी कृष्ण गोपाल पांडेय ने कहा है कि शासन से सूची प्राप्त होने के बाद सभी जिलापूर्ति निरीक्षकों को जांच के निर्देश दिए गए हैं।