बलिया। अपर जिला मजिस्ट्रेट राम आसरे ने बताया है कि जनपद सीमा के भीतर निवास करने वाले, भ्रमण करने वाले, समस्त व्यक्तियों, व्यक्ति समूह, राजनीतिक दलों व संगठनों चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों व उनके समर्थकों अभिकर्ताओं को 10 मई तक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 लगा दी गयी है.
उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति, व्यक्ति समूह, प्रत्याशी, उसका समर्थक, राजनीतिक दल, कार्यकर्ता सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया के माध्यम से कोई भी अफवाह फैलाने, जातीय सामाजिक धार्मिक, सांप्रदायिक, राजनीति आदि तरह के अफवाह फैलाने हेतु ऐसा किसी सामग्री का न तो उपयोग करेगा और न ही प्रचारित करेगा. यह प्रतिबंध फेसबुक, वाट्सअप, ट्वीटर, एसएमएस तथा अन्य माध्यमों से भी प्रसारित होने वाले संदेशों पर भी लागू होगा. कोई भी व्यक्ति कार्यकर्ता ध्वनि विस्तारक यंत्र अथवा सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का प्रयोग नगर क्षेत्र में नगर मजिस्ट्रेट, ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित के बिना अनुमति के नहीं करेगा.
उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुक्रम में ध्वनि विस्तारक यंत्र अथवा सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का प्रयोग रात्रि 10 बजे से प्रातः 06 बजे तक पूर्णतया प्रतिबंध रहेगा. कोई भी व्यक्ति जनसभा, जुलूस, नुक्कड़, नाटक नगर क्षेत्र में नगर मजिस्ट्रेट के व ग्रामीण क्षेत्र में संबंधित के बिना अनुमति के नहीं करेगा. जनपद सीमा के अंतर्गत किसी भी सार्वजनिक स्थान पर पांच या पांच से अधिक व्यक्ति एक समूह के रूप में एक साथ एकत्रित नहीं होंगे और न ही कोई जुलूस निकालेंगे और न ही कोई ऐसा अफवाह फैलायेंगे जिससे शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े. कोई भी व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च, सड़क मकान के अंदर अथवा छत पर ईंट, पत्थर, शीशा, बोतले व काच के टुकड़े तथा विस्फोटक आदि न एकत्र करेंगे और न ऐसा करने के लिए किसी अन्य को प्रेरित करेगा.
कोई भी व्यक्ति सांप्रदायिकता भड़काने वाले पोस्टर, बैनर, कटआउट आदि न तो लगायेगा और न ही किसी और न ही किसी अन्य को ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा. कोई भी व्यक्ति ऐसा अफवाह अथवा ऐसा नारा नहीं लगायेगा और न ही ऐसा पर्चा छापेगा और न बटवायेगा जिससे किसी वर्ग विशेष की भावना को ठेस पहुंचे और न ऐसा करने के लिए किसी अन्य को प्रेरित करेगा. कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की सार्वजनिक संचार व्यवस्था साधन तथा मार्ग पर न अवरोध उत्पन्न करेगा और न ही ऐसा करने के लिए किसी अन्य को प्रेरित करेगा. उक्त का उल्लंघन भारतीय दंड विधान की धारा- 188 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा.