
बलिया। 1942 की अगस्त क्रान्ति की स्वर्णिम 75वीं वर्षगाठ पर अखिल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन ने शहीद पार्क चौक से अगस्त क्रांति उत्सव का शुभारम्भ किया.
सेनानी संगठन की प्रदेश उपाध्यक्ष राधिका मिश्रा ने कहा कि आज का दिन बलिया के इतिहास का स्वर्णिम दिन है. 1942 में आज ही के दिन बलिया में अंग्रेजों को भारत से उखाड़ फेकने की शुरुआत हो गई थी, जिसके बदौलत पूरे देश से पांच वर्ष पहले ही आजादी का स्वाद चख लिया. लेकिन आज यह विडम्बना है कि जिन सेनानियों ने अपना सब कुछ त्याग कर इस आजादी के ज्वाला में कूद पड़े और शहीद हुए, ऐसे अनेक सेनानी परिवार हैं, जो आज भी दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं.
सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने 1942 के अगस्त क्रांति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम जो 1857 से शुरू हुआ था. 1942 तक आते-आते एक निर्णायक मुकाम पर पहुंच चुका था. आजादी की इस आन्दोलन में दुनिया की सबसे बड़ी अहिंसक जनक्रांति 9 अगस्त 1942 को बलिया में हुई थी. जिसके साम्राज्य में कभी सूर्य अस्त नहीं होता था, वहां जनता ने उस ब्रिटिश साम्राज्य से सत्ता छीनकर स्वराज और सुराज की स्थापना किया.
इसके उपरान्त स्वतंत्रता आन्दोलन के गवाह शहीद पार्क चौक से सेनानी उत्तराधिकारियों एवं विभिन्न संगठनों के लोगो ने जुलूस निकाला, जो सेनानी उमाशंकर सोनार चैराहा, रेलवे स्टेशन होते हुए क्रांति मैदान टाउन हाल में जाकर समाप्त हुआ.
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इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष डॉ0 अशोक सिंह, योगेन्द्र प्रसाद गुप्ता, पारसनाथ वर्मा, डॉ. दिनेश शंकर गुप्ता, जयराम ठाकुर, डॉ. संतोष प्रसाद गुप्ता, डॉ. फतेहचन्द बेचैन, राजेश गुप्ता, रोशन जायसवाल, शिवमंदिर शर्मा, विजय बहादुर सिंह, राघवेन्द्र आदि की उपस्थिति सराहनीय रही.