बिहार में कई आईएएस खा चुके हैं जेल की हवा

पटना से देवांशु वाजपेयी  

बिहार राज्य कर्मचारी चयन आयोग के पेपर लीक घोटाले में आईएएस सुधीर कुमार की गिरफ्तारी के बाद विधायिका और कार्यपालिका में तनातनी बढ़ गई है. अधिकारियों की लॉबी आयोग के अध्यक्ष सुधीर को निर्दोष बता रही है और रिहाई के लिए राज्य सरकार पर दबाव बढ़ा रही है. हालांकि विधायिका ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया है कि अंतिम फैसला न्यायपालिका करेगी.

बिहार में आईएएस अधिकारियों पर कार्रवाई पहली बार नहीं हुई है. यहां के अधिकारी घोटाले करते रहे हैं और जेल जाते रहे हैं. इतिहास गवाह है कि बिहार में कई बार न्यायपालिका ने कार्यपालिका को आईना दिखाकर ये बता दिया है कि उसका फैसला पत्थर की लकीर है. बिहार में न्यायपालिका अक्सर कार्यपालिका पर भारी पड़ती आई है. ताजा मामले में आयोग के चेयरमैन सुधीर कुमार और सचिव परमेश्वर राम की गिरफ्तारी का सच सबको पता है. इसके पहले भी कई बार बिहार के शीर्ष स्तर के अधिकारी न्याय के कठघरे में पेश किए जा चुके हैं. इस चक्कर में कुछ की नौकरी गई तो कुछ जेल भी जा चुके हैं.

वर्ष 1950 में अररिया जिले के एसडीओ थे आईएएस भूपेन्द्र नारायण. उन्हें नौकरी से सिर्फ इसलिए निकाल दिया गया था कि उन्होंने अपने यात्रा भत्ता (टीए) में गलत क्लेम कर दिया था. भत्ते की रकम को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया. जांच हुई तो आईएएस साहब पकड़े गए और अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया.

इसी तरह 1960 के दशक में हुए चर्चित लॉटरी स्कैम में आईएएस सतीश भटनागर का नाम सामने आया था. कोर्ट ने उन्हें घोटाले का भागीदार मानते हुए भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया. इसी तरह 1970 में रिवर वैली प्रोजेक्ट के कमिश्नर आईएएस ब्रदनंदन सिन्हा जो औद्योगिक विकास आयुक्त भी थे, को तेनुघाट बिजली परियोजना में हुई धांधलियों के आरोप में नौकरी से हमेशा के लिए छुट्टी कर दी गई थी.

चारा घोटाले में तो एक साथ छह आईएएस शिकंजे में आ गए थे. नेता, मंत्री, संतरी से लेकर कई शीर्ष स्तर के प्रशासनिक अधिकारी इसकी जद में आकर सजा पा चुके हैं. 1996 में इस घोटाले के खुलासे के बाद जब जांच चली तो एक साथ छह आईएएस फंस गए. पशुओं को चारा खिलाने के नाम पर रुपयों के गबन का दोषी मानते हुए अदालत ने इन सभी छह आरोपियों को सजा सुनाई. बेक जुलियस, महेश प्रसाद, के अरुमुगन, फूल चंद सिंह, सजल चक्रवर्ती और श्रीपती नारायण दूबे को जेल की हवा खानी पड़ी थी.

हालांकि, झारखंड हाईकोर्ट ने सजल  चक्रवर्ती को 2012 में बरी कर दिया था, मगर सीबीआई इस मामले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट चली गई है. इसी तरह आईएएस अधिकारी गौतम गोस्वामी को बाढ़ राहत कोष में हुए घोटाले में आरोपी माना गया था. एसएस वर्मा के खिलाफ आय से अधिक संपति का मामला चलाया गया था, जिसके बाद इनकी नौकरी चली गई. तंगी के. सेंथिल पर पटना नगर निगम में घोटाले का आरोप लगा. हाल ही में हुए छात्रवृत्ति घोटाले में आईएएस एसएम राजू कानून के शिकंजे में फंस चुके हैं.

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