सिकंदरपुर(बलिया)। एक अप्रैल से जिले में शुरू हुई गेहूं की सरकारी खरीद विभागीय कर्मचारियों की उदासीनता से बाधित हो गई है. जिन विभागों को क्रय एजेंसी नामित कर उन पर मूल्य समर्थन योजना के तहत गेहूं की सरकारी खरीद का दारोमदार डाला गया है, उनके कर्मचारी क्रय केंद्रों पर गेहूं खरीद की जिम्मेदारी का निर्वहन बेहतर ढंग से नहीं कर रहे हैं. हाल यह है कि तमाम क्रय केंद्रों का निर्धारित स्थल पर कोई अता-पता नहीं है. यही नहीं, जहां क्रय केंद्र खुल गए हैं, वहां पहुंच रहे किसानों को सीट फुल, कोटा पूरा बताकर लौटाया जा रहा है. इस कारण किसान अपना गेहूं मंडियों के गल्ला आढ़तों पर कम दामों में बेचने को मजबूर हैं.
इन क्रय केंद्र के बिचौलिये गांव में घूम घूम कर कम दाम में गेहूं खरीद कर एक महीने में भुगतान करने का वादा कर क्रय केंद्र के कर्मचारियों की मिलीभगत से कालाबाजारी कर रहे हैं.
ज्ञात हो कि सिकंदरपुर तहसील अंतर्गत कुल 12 गेहूं क्रय केंद्र बनाए गए हैं. विपणन केंद्र सिकंदरपुर तथा बहेरी एवं एग्रो बहेरी के अलावा साधन सहकारी समिति ईसार पीठापट्टी, देवकली, हुसैनपुर, बढ्ढा, बहेरीपुर, उकक्षी, एकईल, चड़वा-बड़वा तथा पकड़ी क्षेत्र के किसानों को सुविधा देने की मंशा से बनाए गए. किंतु विभागीय कर्मचारियों ने इस मंशा पर पानी फेर दिया है. अन्नदाता इन केंद्रों के कर्मचारियों के गणेश परिक्रमा करने को मजबूर है.