बाँसडीह (बलिया) से रविशंकर पांडेय
लगातार बारिश की वजह से नदियों का जलस्तर भी बढ़ता जा रहा है. वहीं सरयू नदी भी उफान पर है. पहले तो सरयू (घाघरा) ने उपजाऊ जमीन को निगल लिया. इसके चलते किसान संकट में हैं. उसके बाद अब गांवों की ओर सरयू नदी ने रुख कर दिया है. ऐसे में इलाके के लोगों में दहशत व्याप्त है. इतना ही नहीं अब सरयू का पानी बाँसडीह नगर पंचायत के समीप आ चुका है.
मौजा नकहरा राउत, जगहत्था, फतेह राय, पटखौली भूपत राय, विजयीपुर, पिलुईं, दिवाकरपुर, पर्वतपुर सहित पूरे क्षेत्र में फसलें नष्ट हो चुकी हैं. शुक्रवार की सुबह घाघरा के डीएसपी हेड पर 64. 200 मापा गया. उच्चत्तम 66.00 है, जबकि खतरा बिंदु 64.01 मापदंड है.
उधर दियारा क्षेत्र के रिगवन छावनी, नवकागाँव, बिजलीपुर, कोटवा, मल्लाहि चक, चक्की दियर, टिकुलिया, रघुबर नगर, खेवसर, रेगहा, कोलकला आदि गाँवों के किसानों के लगभग हजारों एकड़ खेत घाघरा में समाहित हो चुके हैं. किसानों की हजारों एकड़ फसल, जिसमे बाजरा, मक्का, गन्ना, धान आदि फसलें घाघरा के पानी से बर्बादी के कगार पर हैं.
तटवर्ती गांव की उपजाऊ जमीन को हमेशा की तरह इस बार भी धीरे-धीरे नदी काटकर अपने आगोश मे ले रही है. इससे इलाके के लोग परेशान हैं. नदी का रौद्र रूप देखकर किसानों के माथा ठनक रहा है. विवशता तो यह है कि उन्हें अपनी जमीन को बचाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा. सुरसा की तरह आए दिन नदी कई बीघा उपजाऊ जमीन अपने आगोश में ले रही है.
उधर, बिल्थरारोड में काली चौरा का पूरा इलाका नदी के पानी से घिर गया है. इससे चहुंओर दहशत का माहौल है. किसानों की फसल डूबने लगी हैं, वहीं अनेक स्थानों पर उपजाऊ जमीन को तेजी से अपने पेटे में लेती जा रही हैं नदी. जिला प्रशासन की ओर से अभी बाढ़ से निपटने की कोई तैयारी नहीं दिख रही है. नदी इस बार बिल्थरारोड के तटवर्ती इलाकों में सबसे ज्यादा नुकसान मुजौना, तुर्तीपार की मल्लाह, यादव बस्ती में कर रही है.
बैरिया तहसील क्षेत्र के रामगढ़ में गंगा एनएच-31 से सटी हैं, तो दुबेछपरा, नौरंगा, गंगापुर के निवासियों पर भी खतरा मंडरा रहा है. बलिया शहर से सटे हैबतपुर, माल्देपुर, मुबारकपुर, विजयीपुर में भी गंगा के तेवर तल्ख हैं.
उधर चांददियर से सिताबदियारा जाने वाले बीएसटी बांध पर सरयू टक्कर मार रही हैं. इस बांध के घेरे में लाखों की आबादी है. रेवती, बेल्थरारोड, सिकंदरपुर में भी सरयू नदी कई स्थानों पर आबादी को नुकसान पहुंचा रही हैं. तटवर्ती लोग भयभीत हैं.