बांसडीह क्षेत्र में सरयू से कटान जारी, अब तक 45 लोगों ने तोड़े घर, स्कूल में अस्थाई शिविर बनाया गया

Bansdih makan toda

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रविशंकर पांडेय,बांसडीह,बलिया

बांसडीह,बलिया. जनपद में एक सप्ताह तक बढ़ाव के बाद सरयू का जलस्तर शनिवार से घटने लगा है लेकिन तटवर्ती क्षेत्रों में खासतौर पर बांसडीह क्षेत्र में सरयू से कटान कटान जारी है। तटवर्ती लोगों का कहना है कि कई बार पानी नीचे खींचने पर कटान तेज हो जाता है और पानी बढ़ने पर भी कटान तेज हो जाता है.

दिल पर पत्थर, आँख में आंसू लिये तोड़ रहे घर

दिल पर पत्थर रखकर, आंख में आंसू लिए, कांप रहे हाथों से खून पसीना एक करके तैयार किए गए अपने आशियाने  सरयू के  तटवासी अपने हाथों से जब हथौड़ा चला रहे हैं तो बरबस उनके आँखों मे आंसू आ जा रहे हैं। ह्रदय को झकझोर देने वाले दृश्य को देख कर अन्य लोगों की भी आंखें भर आ रही हैं। बच्चों के लिये, परिवार के लिये बनाये आशियाने को जब वही हाथ तोड़ रहे तो लोग कह रहे हैं कि काश नदी उस पार ही रहती।

बता दें कि भोजपुरवा ग्राम पंचायत के राजस्व ग्राम टिकुलिया में कुछ इस तरह का दृश्य देखने को मिल रहा है। गांव के शिवजी यादव बताते हैं। कि 40 साल तक लगान पर खेती कर इस आशियाने को 2002 में तैयार कराया था। लेकिन अब इस आशियाने को ₹1200 प्रति घंटा देकर बुलडोजर से तुड़वा रहे हैं। कुछ मजदूर रखकर सामानों को ट्रैक्टर पर रखवा रहे और सुरक्षित स्थान पर पहुँचा रहे। इस गांव में अकेले शिवजी यादव ही नहीं बल्कि बाबू नंदन गोंड़,रामजी यादव,खेदन राजभर अशोक, छोटू ,विभूति ,रामदेव, सुनीता सतदेव यादव, अर्जुन यादव, भीम यादव, स्व कमलेश साहनी, स्व धनु यादव, बच्चा लाल यादव, विजय शंकर यादव, बीरन यादव, उमाशंकर यादव, मुकर धन यादव, शिव शंकर यादव, जलेश्वर यादव आदि अपने हाथों से ही आशियाना को तोड़ने में लगे हैं।

करीब150 घरों के इस पुरवे में मकान को तोड़ने की होड़ लगी हुई है। हर कोई अपने सामान को समेटने में लगा हुआ है। कोई ट्रैक्टर तो कोई बैलगाड़ी से अपने सामानों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा रहा है।

ग्रामीणों ने बताया कि हम लोगों ने अपने होश में ऐसा मंजर नही देखा था। हम लोग कुछ नहीं समझ पा रहे हैं कि क्या करें. जमीन भी नदी में समाहित हो गई है. बचा घर जिसे हम लोग ही उजाड़ रहे है। जीवन भर की कमाई करके आदमी अपने परिवार के लिए एक घर बनाता है। हमें क्या पता था कि जिस घर को हमने बनाया व सजाया था। उसे हमे ही उजाड़ना पड़ेगा।

ऐसे हालात पर अधिकारी क्या बोले?

एसडीएम अभिषेक प्रियदर्शी ने बताया कि 45 घरों को लोगो ने तोड़ के हटाया है। कटान पीड़ितों को रहने के लिये सुल्तानपुर स्थित हाईस्कूल में शिविर बनाया गया हैं। पानी,भोजन,टॉयलेट की व्यवस्था कर दी गई हैं। मैं प्रत्येक दिन जायजा ले रहा हूं।

देरी से राहत कार्य शुरू होने से ग्रामीण नाराज

टिकुलिया भोजपुरवा के ग्रामीणों का कहना है। कि कटान को लेकर अधिकारियों ने पहले कोई पहल नहीं की ना व्यवस्था की। पिछले वर्ष भी बांस बल्ली से नदी को बांधने का प्रयास किया गया। बोरियों में मिट्टी भरकर और  बालू भरकर बांधने का प्रयास किया गया लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। प्रशासन को उसी समय चेत जाना चाहिए था। और पहले ही  यहां कोई ठोस उपाय कर देना चाहिए था। जब यह जानते हैं की कटान रुकने वाला नहीं है तो अपनी कमाई के लिए बांस और बल्ली और बोरी नदी के किनारे डाल  रहे हैं। जब 5 जुलाई से ही कटान शुरू हुआ है और लगभग 600 एकड़ खेत नदी ने अपने आगोश में ले लिया है तो अब बचाने चले हैं। यह काम अप्रैल में ही समाप्त हो जाना चाहिए था।

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