दुबहड़: कहते है कि अगर विनाश रुक जाय तो विकास स्वतः होने लगता है. जब तक बाढ़ से बचाव का स्थायी उपाय नहीं होगा तब तक एनएच-31 के दक्षिण बसे गंगा किनारे के गांवों की इस त्रासदी से मुक्ति मुश्किल है.
गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग जेएफसीसी, पटना के पास लम्बे समय से पड़े 13 करोड़ के प्रस्ताव को यदि हरी झंडी मिल जाय तो महान साहित्यकार आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के पैतृक गांव ओझवलिया समेत एक दर्जन गांवों को बाढ़ से मुक्ति मिल जायेगी.
धरनीपुर से हल्दी तक का बांध जगह-जगह टूटे होने से मामूली बाढ़ आने पर भी इन गांवों में पानी घुस जाता है. यदि इस बंधे की मरम्मत हो जाय तो यह समस्या सुलझ जायेगी.
धरनीपुर से हल्दी तक का करीब डेढ़ दशक पुराना यह बंधा टुकड़ों में है. बीच-बीच में बंधे का अस्तित्व खत्म हो चुका है. लिहाजा ये गांव सुरक्षित नहीं रह गये है.
ये बातें आचार्य पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मारक समिति ओझवलिया के सचिव सुशील कुमार द्विवेदी ने मीडिया से कही. उनका मानना था कि बंधा बनाया जाय तो ओझवलिया के साथ ही भेलसड़, भीमपट्टी, धरनीपुर, नेतलाल के छपरा, विशुनपुरा, बसरिकापुर, सुजानीपुर, रेपुरा, जवहीं नईबस्ती, नन्दपुर, बजरहां और हल्दी बाढ़-मुक्त हो जायेंगे.
चूंकि अब केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार है. अब उक्त प्रस्ताव को जेएफसीसी, पटना से संस्तुति लेकर यह कार्य जनहित में कराया जा सकता है बशर्ते हमारे राजनेता दृढ़ इच्छाशक्ति दिखायें. उक्त बंधे के निर्माण और मरम्मत के लिए पांच वर्षों से तमाम जनप्रतिनिथियों और अधिकारियों को पत्रक दिये गये.
बंधा निर्माण की बावत विभागीय अधिकारियों के अनुसार 12 करोड़ से अधिक की परियोजना के लिए’बाढ़ नियंत्रण आयोग, पटना’ से संस्तुति लेनी होती है. स्थानीय स्तर पर सारी कार्रवाई हो चुकी है. बंधे के लिए प्रस्ताव भेजा गया है और अनुमति मिलते ही काम शुरू हो जायेगा.