मुख्यमंत्री आए तो ‘हेमामालिनी के गाल’, नाही त खस्ताहाल

बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र

virendra_nath_mishraअरसा पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने पड़ोसी बिहार की सड़कों की चर्चा करते हुए हेमामालिनी के गाल का हवाला दिया था. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के 2 मई को बैरिया आगमन पर आने पर श्रृंगार पटार करके कुछ इसी अंदाज में शहीद स्मारक मार्ग तैयार किया गया था. मगर आज कुछ महीने बाद ही उसकी हालत बस पूछिए मत, तस्वीरों में खुद ही देखिए.

इसे भी पढ़ें – अब तेरा क्या होगा बैरिया

अपनी राम कथा खुद कहने को बेताब दिखता है शहीद स्मारक मार्ग
अपनी राम कथा खुद कहने को बेताब दिखता है शहीद स्मारक मार्ग

हालात ऐसे बन गए हैं कि आजादी के चश्मदीद रहे इस मार्ग से पैदल गुजरें तो कीचड़ से सनें और चप्पल टूटे, साइकिल या बाइक से चले तो कबाड़ा तय है, चार पहिया वाहन (भले ही लग्जरी क्यों न हो) से गुजरें तो  हिचकोला खाते जाएं. कहीं भूल से गर्भवती महिला या हड्डी टूट फूट वाले मरीज को लेकर गुजर रहे हैं तो शायद हॉस्पिटल तक जाने की भी जहमत मोल नहीं लेनी पड़ेगी.

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE         
कल्पनी कीजिए बैरिया के इस सर्वाधिक व्यस्त रोड पर से प्रसूताएं या मरीज किस हालत में सफर करते होंगे
कल्पनी कीजिए बैरिया के इस सर्वाधिक व्यस्त रोड पर से प्रसूताएं या मरीज किस हालत में सफर करते होंगे

जनप्रतिनिधियों का इस पर ध्यान आकृष्ट कराते कराते लोग आश्वासनों से इतने ऊब गए हैं कि लोगों का मुंह खुलता है तो विष ही वमन करते हैं. जनप्रतिनिधियों का जिक्र करते ही लोग कवि भूषण के अंदाज में पूछते हैं कि शिवा को सराहूं या सराहूं छत्रसाल को… इस सडक के नाम पर द्वाबा की आवाम के मुंह से जनप्रतिनिधियों के लिए बद्दुआ और अपशब्द के सिवाय कुछ नहीं है.

हैरत की बात तो यह है कि इस सड़क के किनारे दर्जन भर शिक्षण संस्थान है और पूर्वी बलिया का सबसे बड़ा रानीगंज बाजार भी है
हैरत की बात तो यह है कि इस सड़क के किनारे दर्जन भर शिक्षण संस्थान है और पूर्वी बलिया का सबसे बड़ा रानीगंज बाजार भी है

गौरतलब है कि सन् 1942 की क्रान्ति के चश्मदीद रहे इस मार्ग का नामकरण शहीद स्मारक मार्ग अपने अतीत के गौरवशाली इतिहास को जीवन्त बनाए रखने के लिए किया गया था. इसी मार्ग के किनारे जंगे आजादी के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले 14 शहीद क्रान्तिवीर पूर्वजों व 4 घायल अमर सेनानियों की स्मृति में बना शहीद स्मारक व वह थाना, जहां सन् 1942 में आजादी का परचम लहराया जाने वाला बैरिया थाना स्थित है. बैरिया तिराहे से सुरेमनपुर तक लगभग साढ़े पांच किलोमीटर में विस्तृत इस मार्ग के दोनों सिरों पर प्राथमिक से इण्टरमीडिएट तक एक दर्जन से अधिक शिक्षण संस्थान, सैकड़ों व्यावसायिक प्रतिष्ठान, बैंक, अस्पताल व उपासना स्थल आदि स्थित हैं. इतना ही नहीं, पूरे द्वाबा की आबादी इस मार्ग पर दो दिन में मूव कर जाती है.

यह मार्ग दूसरे शब्दों में कहे तो द्वाबा की जीवन रेख सरीखी है. क्योंकि इसी के किनारे सुबह के समय बीबीटोला व मधुबनी में लगने वाली सब्जीमण्डी से अपने प्रदेश ही नहीं, बिहार, झारखण्ड व पश्चिम बंगाल तक सब्जियां जाती हैं. बलिया के पूरब का सबसे बड़ा बाजार रानीगंज बाजार इसी पर स्थित है. कितने सांसद, विधायक आए गए. जनता मांग करती रही, इस सड़क को तवज्जो नहीं दिया गया. हमेशा इस मार्ग की उपेक्षा की गई. बीच बीच में कुछ जनप्रतिनिधियों ने इस सड़क पर अपना रहमोकरम किया, तो सड़क बस चलने लायक ही बन पायी. अच्छी सड़क अब तक तो नसीब नहीं हुई. अभी हाल ही में चर्चा हुआ कि साठ करोड़ की लागत से सड़क बनेगी. लेकिन यह बात चर्चा भर बन कर रह गयी. आज हालात ऐसे हो गए हैं कि यह सड़क चलने लायक भी नहीं बची है. रास्ते से गुजरने वाले लोग अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को रोना ही रो रहे हैं.

 

BHARAT_SINGHमैं तो बतौर विधायक इसे बनवाया था. अब खराब हो गई है. यह प्रदेश सरकार का काम है. यहां के विधायक जी व प्रदेश सरकार अगर इजाजत दे तो गडकरी जी से कह कर इसे भी बनवा दूंगा – भरत सिंह (सांसद)

 

jai_prakash_anchalप्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. धन अवमुक्त होते ही सड़क बन जाएगी. सांसदजी पहले नेशनल हाईवे (गाजीपुर-हाजीपुर मार्ग) ही दुरूस्त करा दें, तो बड़ी मेहरबानी होगी. बतौर सांसद यह उनकी जिम्मेदारी है – जय प्रकाश अंचल (विधायक)

 

 

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE