अखिलेश यादव को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने के लिए चुनाव मैदान से हटे विनोद मणि त्रिपाठी

फरेन्दा (महराजगंज)। गठबंधन का दंश क्या होता है यह विधायक विनोद मणि त्रिपाठी के चेहरे पर साफ झलक रहा था. 25 जनवरी को स्वयं मुख्यमंत्री के हाथो मिला टिकट रविवार को उन्हीं के कहने पर वापस करना पड़ा. अपने आवास पर पत्रकारों के समक्ष चुनाव न लड़ने के फैसले की घोषणा करते वक्त वे भावुक भी हुए और मुख्यमंत्री के प्रति श्रद्धानवत भी. कहा कि वे चुनाव मैदान में नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री के दिल मे हैं.

बता दे कि 2015 के उपचुनाव मे रिकार्ड 68 हजार मत पाकर चुनाव जीतकर फरेन्दा के सपा विधायक विनोद मणि त्रिपाठी ने दल व मुख्यमंत्री के दिल मे खास जगह बना ली. उन्होने कहा कि साम्प्रदायिक ताकतों के समूल नाश के लिए मुख्यमंत्री ने काग्रेस से हाथ मिलाया हैं, जब गठबंधन होता है, तो थोड़ा बहुत नफा नुकसान लाजमी है. फरेन्दा की सीट गठबंधन के हिस्से मे जाने से मुख्यमंत्री के आदेश पर मैने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है. कहा कि राजनीतिक जीवन में पद ही सब कुछ नहीं होता है. एक जनप्रतिनिधि के रूप मे मैंने क्षेत्र के विकास मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. कस्बे के राजकीय कन्या इन्टर कालेज का जीर्णोद्धार मेरे द्गारा कराया जाने वाला बड़ा काम है, जिससे क्षेत्र की बच्चियों का भविष्य जुड़ा हुआ है. गांव हो या कस्बा वहा कि सड़के बिजली पेंशन आवास आदि सैकड़ो काम मेरे विकास की कहानी बया कर रही है.

चुनाव मैदान से हटने की घोषणा के साथ विधायक विनोद मणि त्रिपाठी ने कहा कि वे जीवनपर्यन्त समाजवादी पार्टी  तथा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रति समर्पण भाव से काम करते रहेंगे. कहा कि आप का मिल रहा अपार प्यार और समर्थन मेरे लिए किसी भी पद से बहुत बड़ा हैं. अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने तथा सांम्प्रदायिक शक्तियो के उनके समूल विनाश की प्रतिबद्धता को वे अपने आप को समर्पित करते हैं.

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