चैता मुक़ाबला में चैता, चैती एवं विरह गीतों की बंधी रही समां, खूब झूमें थिरके श्रोता

बलिया। निमिया के डाढ़ जनि कटिह ए बाबा, निमिया ह माई के बसेर… लोक गीत गवनई के प्रसिद्ध गायक कमलवास कुंवर ने चैता मुकाबले में जब यह देवी गीत शुरू किया तो उपस्थित हजारों की संख्या में लोग झूमे बिना नहीं रह सकें. नगर स्थित पूर्वांचल टाकिज के निकट बबुआ ब्रह्म बाबा मंदिर परिसर में मंदिर सेवा समिति द्वारा बुधवार की रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें बक्सर (बिहार) के प्रसिद्ध गायक कमलवास कुंवर एवं आरा (बिहार) के गायक रमाशंकर के बीच चैता का शानदार मुकाबला हुआ.

कार्यक्रम का शुभारम्भ मंदिर सेवा समिति के संतोष मिश्रा व चंदन ओझा ने संयुक्त रूप से दोनों कलाकारों को माल्यार्पण करके कराया. इसके बाद गायक रमाशंकर सिंह ने चैता गीत ‘आज चईत हम गाईब ए रामा एही ठईया…‘ सुनाकर खूब वाहवाही लुटी. दूसरे चक्र में लोक गीत गवनई के प्रसिद्ध गायक कमलवास कुंवर ने अपनी चैता गीत ‘पीया-पीया रटत पियर भइली देहिया…‘ तथा विरह गीत ‘बड़ा देहिया में विरह सतावें सखी…‘ प्रस्तुत कर पुरी महफिल को झुमने पर विवश कर दिया. दोनों कलाकारों ने एक से बढ़कर एक चैता, चैती एवं विरह गीत प्रस्तुत कर सारी रात समां बांधे रखा.
इस मौके पर संतलाल गुप्त, मिठाईलाल, प्रधान प्रेमशंकर चैरसिया, सुधीर ओझा, अरविंद मिश्र, हरिशंकर राय, शैलेश सिंह, गणेश जी सिंह, बब्बन विद्यार्थी, गायक राजेश पाठक, विनोद तिवारी, मिथिलेश सिंह, नेपाल पाण्डेय, हरेराम तिवारी, पप्पू पाण्डेय आदि मौजूद रहे. कार्यक्रम का संचालन अरूण पाण्डेय ने किया. इसके पूर्व बबुआ ब्रह्म बाबा मंदिर परिसर में 24 घंटे से चल रहा अखण्ड हरिकीर्तन का समापन हवन-पूजन एवं आरती के साथ हुआ. इस अवसर पर आयोजित विशाल भण्डारे में नगर एवं क्षेत्र से आये हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया.
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