दिसम्बर आया, आखिर कब बनेगा नौरंगा पीपा पुल

बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र

virendra_nath_mishraप्रत्येक वर्ष गंगा नदी पर बनने वाला नौरंगा पीपा पुल इस बार भी अपने निर्धारित समय पर नहीं बन पाया है. बैरिया विधानसभा क्षेत्र के दर्जनों मौजा की हजारों एकड़ जमीन गंगा उस पार है. गंगा उस पार ही चक्की और नौरंगा आदि गांव के हैं. लगभग दो दशक पहले से इस पार से उस पार आवागमन के लिए गंगा नदी पर पीपा का पुल बनाया जाता रहा है. इस  पीपा पुल का उपयोग मुख्य रूप से कृषि कार्य और शादी विवाह में आवागमन के लिए किया जाता है.

यह पुल बाढ़ का पानी उतरने के बाद 15 अक्टूबर तक बन जाने और फिर पानी का बहाव शुरू होने से पहले 15 जून से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दिया जाता है. हटाने का काम तो समय से हो जाता है. आंधी आ गई तो पहले भी हो जाता है, लेकिन जोड़ने के काम मे खेती का पिक सीजन  बीता दिया जा रहा है. गंगा उस पार यूपी के ही हिस्से मे गंगापुर, मीनापुर, दुलापुर, सुघर छपरा, उदई छपरा, दुबे छपरा, पांडेपुर, रामपुर, दयाछपरा, गोपाल छपरा, शुभनथही, जगदेवा आदि दर्जनों मौजा के कास्तकारों की जमीन उस पार है.

पीपा पुल के बन जाने के बाद इस पार के किसान आसानी से उस पर जाकर अपने खेतों की बुवाई कर लेते हैं और कटाई भी. बीच के समय में खेतों की देखभाल भी कर लेते हैं. इसके अलावा शादी विवाह के मौसम में इस पार से बारात व तिलक उस पार जाता है और उस पार से इस पार भी आता है. लेकिन विगत सात-आठ सालों से यह पीपा का पुल बनाने में काफी बिलंब किया जा रहा है. इसके चलते सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को होती है. आवागमन की सुविधा न होने के चलते इस पार के कई काश्तकारों की जमीन उस पार के दबंग किस्म के काश्तकार जोत बो लेते हैं और कटाई भी कर लेते हैं. कई बार इस तरह के विवाद में उस पार किसानों के बीच बड़े विवाद में गोली चलने की भी घटना हुई हैं.

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE         

इसके अलावा भी इस पार से महज 10 से 12 किलोमीटर दूरी पर उस पार के गांव तक तिलक बारात आने-जाने में या तो नाव का सहारा लेना पड़ता है या फिर 350 किलोमीटर की परिक्रमा करके सड़क मार्ग से आना जाना पड़ता है. 15 अक्टूबर की बात कौन कहे, इस बार भी पूरा नवंबर का महीना बीत गया. अभी पीपा पुल बनाने की सिर्फ कवायद ही शुरू हुई है. कार्य की रफ्तार देखते हुए ऐसा लगता है कि इस साल भी नौरंगा का पीपा पुल बनते-बनते पिछले साल की तरह ही जनवरी आ जाएगी.

यद्यपि की सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा बनाए जाने वाला यह पुल विभाग की ढीली ढाली व्यवस्था का परिणाम है, लेकिन काश्तकार यहां पर सीधे-सीधे असुविधा होने पर क्षेत्रीय विधायक और जिलाधिकारी पर ही इल्जाम लगाते हैं. बताते हैं  के पूर्व विधायक स्वर्गीय ठाकुर मैनेजर सिंह और डॉ. भोलानाथ पांडेय के बाद किसी भी विधायक ने यहां के किसानों की पीपा पुल संबंधित समस्याओं पर गंभीरता नहीं बरती. उन दोनों विधायकों के बाद यह पुल कभी भी अपने निर्धारित 15 अक्टूबर तक नहीं बना कर तैयार किया गया, जबकि इस पार के सैकड़ों किसानों के हजारों एकड़ जमीन उस पार है. (फोटो – प्रतीकात्मक)

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE