बलिया/सुखपुरा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिक्षा मित्रों को जबरदस्त झटका लगा है. बुधवार को वे शिक्षण कार्य के लिए स्कूल नहीं गए. इसके चलते पढ़ाई बाधित रही. जहां केवल शिक्षामित्र ही हैं, वहाँ के विद्यालय पूरी तरह से बन्द रहे.
मालूम हो कि पिछली सरकार ने प्रदेश के एक लाख 38 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया गया था, जिसमें बलिया के भी लगभग 2800 शिक्षामित्र थे. इसके अलावा यहां के 436 शिक्षामित्र समायोजन का इंतजार कर रहे थे. बुधवार को बीएसए कार्यालय परिसर में आयोजित धरना सभा में शिक्षामित्रों ने न सिर्फ अपनी पीड़ा व्यक्त की, बल्कि प्रदेश सरकार से अपना रूख स्पष्ट करने की मांग की. इस बाबत शिक्षामित्रों ने मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा. इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने बीएसए को कार्यालय में प्रवेश नहीं करने दिया. इसके चलते कार्यालय पूरी तरह बंद रहा. उधर, जिले के अधिकांश परिषदीय स्कूलों के ताले भी नहीं खुले. धरना सभा में प्राशिसं के पूर्व जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह, कर्मचारी नेता वेद प्रकाश पांडेय, घनश्याम चौबे, सरल यादव, पंकज सिंह, काशीनाथ यादव, जितेन्द्र राय, अनिल सिंह, मनीष सिंह, श्यामनंदन मिश्र आदि थे.
प्राथमिक विद्यालयों में सपा शासन में शिक्षा मित्रों को अध्यापक बना दिया गया था. वेतन भी अध्यापक के बराबर मिलने लगा था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शिक्षा मित्र की नियुक्ति में खामी पाई. इसको अवैध घोषित कर दिया. इसके बाद शिक्षा मित्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, वहां से भी शिक्षा मित्रों को राहत नहीं मिली.
मंगलवार को आए फैसले से नाराज शिक्षा मित्र बुधवार को स्कूल नहीं गए. इसके चलते पढ़ाई बाधित रही. भोजपुर, मठीया स्थित प्राथमिक पाठशाला पर केवल शिक्षा मित्र ही हैं, लिहाजा वह पूरी तरह बन्द रहा. वहां के प्रधानाचार्य वर्तमान में एबीआरसी का काम देख रहे हैं. प्राथमिक शिक्षक संघ के ब्लाक अध्यक्ष जितेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि शिक्षा मित्रों से भावनात्मक लगाव है, लेकिन संगठन जो निर्देश देगा. वह हम लोग करेंगे. अभी कोई निर्देश नहीं आया है.