जयप्रकाशनगर (बलिया)। स्थानीय क्षेत्र के बिहार सीमा में गंगा नदी पर महुली घाट के सीध में पिछले सात माह से सेवा समाप्त हुआ. पीपा पुल दोबारा सोमवार शाम से आवागमन की सेवा में हाजिर हो गया है. पीपा पुल के पुन: स्थापित होते ही पोषक क्षेत्र के दर्जनों गांवों में एक बार फिर खुशी की लहर दौड़ गई, जबकि खवासपुर, सिताबदियारा, टोला शिवन राय, जयप्रकाशनगर, बैरिया, रानीगंज आदि के लोगों के बीच पुल के चालू होने की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं.
बता दें कि इस पुल के चालू हो जाने से सिताबदियारा और जयप्रकाशनगर से अब सबसे नजदीक आरा हो गया है. वहीं भौगोलिक रूप से अलग-थलग पड़े खवासपुर की बड़ी आबादी के लिए यह एक वरदान स्वरूप है. यह जब तक चालू नहीं था, इस क्षेत्र के लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं से रोज जूझना पड़ता था. छात्र-छात्राओं की पढ़ाई-लिखाई, बीमार लोगों का इलाज, व्यवसायियों के लिए माल ढुलाई, किसानों को खेती सामग्री लाने-ले जाने, शादी-विवाह में वाहनों से बारात आने-जाने, जैसे विभिन्न कार्यों में बड़ी मुसीबत उठानी पड़ती थी. ऐसे में पीपा पुल चालू होने को ले जन-जन में खुशी का माहौल है. सोमवार से दो पहिया वाहन इस पर चलने भी शुरू हो गए. वहीं चार पहिया वाहनों का परिचालन मंगलवार से शुरू हो गया.
विभागीय लापरवाही से लगा लंबा समय
पीपा पुल बाढ़ की समाप्ति के बाद बगैर लंबा समय गंवाए चालू हो सकता था, किंतु व्यवस्था की हीलाहवाली व सक्षम प्रशासनिक अधिकारियों की संवेदनहीनता का ही नतीजा है कि पुल बाढ़ बीतने के चार माह बाद चालू हो रहा है. पीपा पुल पुन: स्थापित करवाने वाले संवेदक बीरेन्द्र यादव ने बताया कि पुल पूर्ण रूप से तैयार हो गया है. हालांकि माल लाद कर ट्रैक्टरों के आवागमन में अभी एक सप्ताह का समय और लगेगा, वजह कि पीपा पुल के दोनों सिरे पर अभी सड़कें ठीक नहीं हुई है.