बलिया से कृष्णकांत पाठक
महात्मा गांधी ने जब 9 अगस्त 1942 को देश को आजाद कराने के लिए मुंबई में भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की थी तो उसका सबसे ज्यादा प्रभाव बलिया में देखने को मिला था.
- जरा याद करो कुर्बानी
बलिया के हर कोने से अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे गूंजने लगे थे. ब्रिटिश हुकूमत का विरोध गांव से लेकर शहर तक शुरू हो गया था. रेलवे लाइन उखाड़कर के अंग्रेजों का विरोध करने में स्वतंत्र संग्राम सेनानी कूद गए. कई जगह पोस्ट ऑफिस जला दिया गया. अंग्रेजों ने इस आंदोलन को दबाने के लिए पुरजोर कोशिश की. 9 अगस्त 1942 को राधा मोहन सिंह, राधा गोविंद सिंह, परमात्मा नंद सिंह तथा रामनरेश सिंह को 129 डीआईआर के तहत गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया. इस आंदोलन में राजेश्वरी तिवारी, जगन्नाथ सिंह, शिव पूजन सिंह, रामजी तिवारी, महानंद मिश्र, विश्वनाथ चौबे, तारकेश्वर पांडेय, युसूफ कुरैशी, बालेश्वर सिंह को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था. इन नेताओं की गिरफ्तारी से बलिया में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जनाक्रोश और बढ़ गया था.
मेरे पितामह स्वर्गीय रमाशंकर प्रसाद ने रसड़ा से इस आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की थी – रवि वर्मा (बलिया लाइव के फेसबुक वाल पर)
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