लखनऊ : उत्तर प्रदेश की 9,525 ग्राम पंचायतों और 101 क्षेत्र पंचायतों ने मनरेगा में जमकर मनमानी की है. श्रम- सामग्री के अनुपात को नजरअंदाज कर मनरेगा का पैसा खर्च किया गया. कई क्षेत्र और ग्राम पंचायतों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. इस खुलासे के बाद खेल को रोकने के विकल्पों पर माथापच्ची शुरू हो गई है.
दरअसल, मनरेगा योजना के तहत कराए जाने वाले कार्यों में खर्च की दृष्टि से श्रम-सामग्री का अनुपात 60:40 रखने की व्यवस्था है. प्रदेश स्तर पर समीक्षा में पता चला कि तमाम क्षेत्र (ब्लॉकों) और ग्राम पंचायतों ने सामग्री पर ही बड़ी रकम खर्च कर दी.
कई ग्राम पंचायतों ने पूरी रकम ही सामग्री पर खर्च कर दी. इससे मनरेगा एक्ट के तहत श्रमिकों को काम का अवसर उपलब्ध कराने की मंशा धरी रह गई. कई जगह मनमर्जी सामग्री का उपयोग दिखाकर भ्रष्टाचार का खुलासा होने लगा है.
पड़ताल में सामने आया है कि 90 क्षेत्र पंचायतों और 4766 ग्राम पंचायतों ने 41 से 60 प्रतिशत तक रकम सामग्री पर खर्च कर दी. 11 क्षेत्र पंचायतों और 262 ग्राम पंचायतों ने 61 से 80 प्रतिशत तक सामग्री पर खर्च की. 1497 ग्राम पंचायतों ने तो 81 से 100 प्रतिशत रकम सामग्री पर खर्च कर दी.
ग्राम्य विकास आयुक्त के. रविंद्र नायक ने जिलाधिकारियों को ऐसे सभी ब्लॉकों और ग्राम पंचायतों का ब्योरा भेजते हुए श्रम-सामग्री अनुपात सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश दिए हैं.
उन्होंने जिलाधिकारियों से कहा है कि वे परियोजनाओं की मंजूरी से पहले ही श्रम-सामग्री का 60:40 अनुपात का परीक्षण कर लें और ग्राम पंचायत स्तर पर ही यह अनुपात सुनिश्चित कराएं.
बताते चलें, कई जगह जिला स्तर पर यह अनुपात तो दुरुस्त रखा जाता है लेकिन चुनिंदा ब्लॉकों और ग्राम पंचायतों में इस मानक को नजरअंदाज कर मनमानी की छूट दे दी जाती है.
जहां विशेष कारणों से कृषि और कृषि आधारित कार्यों और कम से कम 10 लाभार्थीपरक कार्य लिए जा रहे हैं, वहां इस अनुपात से छूट मिलेगी, लेकिन कार्य प्रारंभ होने से पहले इसकी अनुमति डीएम से लेनी होगी. जिला स्तर पर 60:40 का अनुपात सुनिश्चित किया जाएगा.