जमीन रेलवे की, पट्टा कर दिया भूमि प्रबन्ध समिति ने

अलग-अलग तिथि पर 144 व्यक्तियों को रेलवे की 72.40 एकड़ भूमि का कर दिया गया पट्टा

एसडीएम ने किया पट्टा निरस्त, लेखपाल को निलम्बित, डेढ़ सौ से अधिक पर मुकदमा का आदेश

बिल्थरारोड(बलिया)। उभांव थानान्तर्गत तुर्तीपार में रेलवे की भूमि को अवैध रूप से पट्टा करने के मामले में बिल्थरारोड रोड एसडीएम सुशील लाल श्रीवास्तव ने एक लेखपाल को निलंबित करने के साथ ही जिलाधिकारी कोर्ट के आदेश पर पट्टा निरस्त कर दिया है. इसके साथ ही पट्टाधारकों, भूमि प्रबंधन समिति, राजस्व अधिकारियों, कर्मचारियों और संबंधित रेल अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया है. जिनकी संख्या लगभग डेढ़ सौ से अधिक होगी. इसमें कुछ अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो चुके है.
तुर्तीपार में सरकारी अभिलेखों में 150.84 एकड़ भूमि रेलवे सरकार की भूमि के रूप में दर्ज है. लेकिन भूमि प्रबंध समिति ने कथित कूटरचित तरीके से रेलवे की भूमि को 11 अगस्त 1986 को 89 व्यक्तियों में 25.14 एकड़, 30 दिसंबर 1986 को 4 व्यक्तियों में 1.96 एकड़, 5 जनवरी 1987 को 10 व्यक्तियों में 4.66 एकड़, 30 जुलाई 2003 को 25 व्यक्तियों में 24. 94 एकड़ और 15 दिसंबर 2003 को 16 व्यक्तियों में 15.70 एकड़ भूमि पर अवैध रूप से पट्टा कर दिया.
मामले में जल्दबाजी दिखाते हुए तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार, दो नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक व लेखपाल ने आवंटन प्रक्रिया को स्वीकृति भी दे दी. हद तो यह है कि रेल अधिकारी इस मामले में पूरी तरह निष्क्रिय बने रहे.

मामला तब सामने आया, जब 04 जुलाई 2017 को मुख्य तहसील दिवस पर तुर्तीपार निवासी ओमप्रकाश सिंह ने उक्त प्रकरण की न सिर्फ शिकायत किया, बल्कि जिलाधिकारी न्यायालय में वाद भी दाखिल कर दिया. तत्कालीन जिलाधिकारी सुरेंद्र विक्रम ने पट्टा आवंटन को असंवैधानिक करार दिया. अपने निर्णय में डीएम ने स्पष्ट किया कि रेलवे की संपत्ति होने के चलते भूमि चकबंदी प्रक्रिया से बाहर है. जिस पर पट्टा देने का अधिकार किसी का नहीं है. फिर भी अलग-अलग तिथि पर 144 व्यक्तियों को रेलवे की 72.40 एकड़ भूमि का अवैध पट्टा कर दिया गया.

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