रसड़ा (बलिया)। कार्यकर्ता उसे कहेंगे जो निःस्वार्थ भाव से संस्था की व्यवस्था अन्तर्गत संकल्पित लक्ष्य की ओर विपरीत स्थिति होने पर भी कार्य से विमुख हुए बिना आगे बढ़ते रहते हैं. उपर्युक्त उद्गार डॉ. कन्हैया लाल झा ने अखनपुरा स्थित नागा जी सरस्वती विद्या मन्दिर में संस्कृत भारती गोरक्षा प्रांत के तत्वावधान में आयोजित आवासीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग के तीसरे दिन व्यक्त किया.
अपने सम्बोधन के दौरान प्रशिक्षुकों को अपने मुख्य लक्ष्य की ओर इंगित करते हुए कहा कि यह द्वादश दिवसीय वर्ग संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार एवम विस्तार हेतु आयोजित है. मोहनलाज जी ने बोलने की कला का शिक्षण प्रदान किया. डॉ. गणेश धर द्विवेदी ने भाषा की प्रौढता हेतु व्याकरण के स्वरूप का सिंहावलोकन कराते हुए विशेष शिक्षण प्रशिक्षण प्रदान किया. इसमें नागेश दूबे, रंजीत तिवारी, श्री प्रकाश आदि लोग भी मौजूद रहे.