सिकन्दरपुर (बलिया)। फिर आ गया है रमजान का महीना. साल में एक बार आता है यह अजीम नेमत रमजान और दे जाता है एक संदेश इस्लाम वालों को. यह संदेश है सब्र का ,भाईचारा का, जकात का , साथ ही इंसान के हाथों से गुजरती और फिसलती जिंदगी को एक मौका जन्नत पहुंचने का. उसका दरवाजा पशे मार्ग खुलवाने का. मासूमपुर गाँव के मस्जिद के इमाम मौलाना आजाद अहमद ने कहा कि रमजान आत्मशुद्धि का महीना है.अपने अंदर छुपी हुई ख्वाहिशातों से निवृत्ति का महीना है. दुनियावी ख्वाहिशातों से मन को निजात दिला अल्लाहपाक की तरफ मोड़ने का महीना है. इसलिए खुदा के हर बंदे को इस मौके का भरपूर उपयोग उसकी ईबादत में करना चाहिए. मन को बदी से नेकी की ओर मोड़ने के लिए करना चाहिए.
जहां तक माहे रमजान की बात है तो यह रंम्ज शब्द से बना है जिसका मतलब है अपने को जलाना, जिसका मतलब है खरीफ की बारिश . इस मौसम में जिस तरह बारिश के पानी में घुलकर जमीन पाक साफ हो जाती है ठीक उसी तरह रमजान के रोजे रखने से दिल भी नेक व साफ हो जाता है . उसके दिमाग में अच्छी बातें भर जाती हैं – मौलाना आजाद अहमद, इमाम मासूमपुर मस्जिद
कहा कि रमजान का महीना जिसमें कुरान उत्तरा उसमें लोगों के लिए हिदायत रहनुमाई और फैसला की रोशन बांते हैं. इस महीने में अज्र का सवाब काफी बढ़ जाता है. नफिल का सवाब हज के बराबर और फर्ज का सवाब 70 गुना बढ़ जाता है. एक बार दरुद शरीफ पढ़ने पर एक लाख दरूद शरीफ का सवाब मिलता है. इसलिए रमजान के रोजे सभी को रखना चाहिए.