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उमेश गुप्ता, बेल्थरारोड,बलिया
बेल्थरारोड,बलिया. क्षेत्र पंचायत सीयर के ब्लॉक प्रमुख आलोक कुमार सिंह ने शहीदों के नाम पूरे क्षेत्र के अन्दर 8 शहीद द्वार निर्माण प्रमुख स्थानों पर कराने का ऐलान किया है। साथ आगामी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर वृहद मेला का आयोजन कराने का एलान भी किया।
ग्राम चरौंवा के शहीद स्थल के पास सोमवार को प्राथमिक विद्यालय चरौवां के प्रांगड़ में आयोजित शहीद स्मृति मेला में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए आलोक सिंह ने कहा कि क्षेत्र पंचायत निधि से इस चरौंवा ग्राम के बीच बने शहीद स्थल के आस पास विधिवत साफ-सफाई करवाने के साथ जल जमाव से मुक्ति हेतु इण्टरलाकिंग कार्य कराने, शहीदों की यादगार में 20 बाई 20 फीट की एरिया में भवन का निर्माण कराकर पुस्तकालय खोलने, रात्रि में प्रकाश की अच्छी ब्यवस्था देने, प्राथमिक विद्यालय चरौवां के परिसर को भी बरसात की पानी से मुक्ति दिलाते हुए पूरे परिसर में इण्टरलाकिंग कार्य कराएंगे.
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आलोक सिंह ने कहा कि भारत के स्वाधीनता संग्राम में बलिया जिले का चरौवा ग्राम रणभूमि बन गया था। जिसमें आजादी की क्रान्ति के दौरान ग्राम चरौवा के क्रान्तिकारी वीरो ने अपनी जानों की कुर्बानी देकर शहीद हो गये। उनकी कुर्वानी को और ज्यादा यादगार बनाने के लिए ग्राम चरौवां के शहीद स्थल का वृहद विकास के साथ सुन्दरीकरण होगा.
कहा कि इस कार्य को पूर्ण करवाने के लिए तीन दिन पूर्व मेरे साथ मेरी टीम ने सर्वे कर लिया है। उन्होने कहा कि इसके अलावे पूरे ब्लॉक क्षेत्र में प्रमुख स्थानों पर क्षेत्र के 8 शहीदों के नाम भब्य द्वार का निर्माण करवाने का कार्य पूर्ण कराया जायेगा। कहा कि धन का अभाव इस कार्य में आड़े नही आयेगा। मंच पर विराजमान होने से पूर्व उन्होने क्रांतिकारी स्मारक समिति चरौवां के अध्यक्ष मारकण्डे सिंह व अन्य के साथ मंगला सिंह, शिवशंकर सिंह, खरवियार व मकतूलिया मालीन के शहीद स्थल पर बने शहीद स्तंभ पर पहुंचकर फूल माला चढ़ाया तथा परमपरा के मुताविक बतौर मुख्य अतिथि ध्वज भी फहराया।
क्रांतिकारी स्मारक समिति चरौवां के अध्यक्ष मारकण्डे सिंह ने शहीदी गाथा की चर्चा करते हुए कहा कि अंग्रेजो से देश को आजाद कराने के लिए सन् 1942 के भारत स्वाधीनता संग्राम के जंगे अजादी की क्रान्ति के दौरान बलिया के क्रान्तिकारी वीरो मे देश के प्रति तरुणाई जाग उठी। इस जंग मे सीयर ब्लॉक के चरौंवां गॉव के अमर शहीदों एवं स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियो ने जंगे आजादी में 25 अगस्त को अपने प्राणो की आहूति देकर बलिया का नाम स्वर्णिम अक्षरो मे अंकित कर दिया।
बलियावासियो के उग्र तेवर को देख अंग्रेज हुकमरान दंग रह गये। और उनकी शूर-वीरता व अदम्य साहस से गोरो के खेमे मे खलबली मच गयी थी। इसके कारण अंग्रेज हुकमरानो ने विशेषाधिकार युक्त सर्वोच्च प्रशासक नेदरसोल व मार्क स्मिथ के नेतृत्व मे जल मार्ग से अंग्रेजी फौज की टुकड़ी बलिया भेजी। इस फौज का एक दस्ता कैप्टन मूर की अगुवाई में ग्राम चरौंवां पहुंचा। गोरों को खुफिया रिर्पोट से पता चला कि चरौंवा गॉव क्रान्तिकारियो की गुप्त गतिविधियो का केन्द्र है। अंग्रेजो ने 25 अगस्त सन् 1942 को पूरे गॉंव को घेर लिया और गॉव के मुखिया रामलखन सिंह के यहां चौकीदार भेजकर संदेश दिया कि पूरे गॉव को तबाही से बचाना चाहते हो तो क्रान्तिकारियो को हमें सौंप दो।
चौकीदार की बात सुनते ही मुखिया रामलखन सिह आग बबूला हो गये और चौकीदार के कान पर ऐसा थप्पड़ मारा की कान से खून टपक पड़ा। इसके बाद अंग्रेजो ने दमन चक्र के तहत चरौंवां गॉव मे गोलिया बरसानी शुरू कर दी। तब क्रान्तिकारियो ने ग्रामीणो को ललकारा कि गोरों के हाथ में बन्दूके हैं तो हमारे हाथ मे लाठी। जोश से भरे ग्रामीण लाठी लेकर अंग्रेजों पर टूट पड़े जिससे अंग्रेजो मे भगदड़ मच गयी। अंग्रेजो की गोली से खर-बियार शहीद हो गया। यह देख मकतुलिया मालिन ने कैप्टन मूर के सिर पर मिट्टी की हाड़ी चलाकर मार दी जिससे कैप्टन मूर का सिर फूट गया और वह तमतमा उठा और गुस्से में आकर मकतुलिया मालिन को गोली मार दी।
यही नहीं अंग्रेजो ने मृत मकतुलिया मालिन के शव को ले जाकर घाघरा नदी मे फिंकवा दिया। अंग्रेजो के द्वारा की गयी गोलाबारी मे मंगला सिंह, शिवशंकर सिंह, अंग्रेजो से लड़ते हुए शहीद हो गये। इस तरह चरौंवा के चार शुरवीर सपूतो ने देश के लिए शहादत दी।
इस दौरान बृजबिहारी सिंह, राधाकृष्ण सिंह, कन्हैया सिंह, कपिलदेव सिंह, श्रीराम तिवारी, दशरथ सिंह , हरिप्रसाद स्वर्णकार, आदि ने अंग्रजो के दॉत खट्टे कर दिये। गोरो के इस ताण्डव की प्रतिक्रिया पूरे दश मे हुई। इसे गम्भीरता से लेते हुए कांग्रेस कमेटी ने फिरोज गॉधी को वस्तुतः स्थिति का जायजा लेने के लिए भेजा। इस हृदय विदारक सहादत को देख फिरोज गॉधी भी फफक का रो पड़े।
अंत में कहा कि उन्हीं की यादगार में चरौंवां के शहीदों की याद में शहीद स्तंभ का निर्माण कराया गया है। आज भी 25 अगस्त को शहीद स्थल पर मेला लगता है। जहॉ विभिन्न दलो के प्रतिनिधि व संगठन के लोग कार्यक्रम मे भाग लेते है।
प्रत्येक वर्ष इस शहीद स्थल के आस पास मेला लगता है, जहां मिष्ठान, बच्चों के खेल खिलौने, सौन्दर्य प्रशाधन, फल-फूल आदि की दुकाने लगती हैं। जिसका आनन्द वर्ष में एक बार शहीदी मेला के रुप में देखने को मिलता है।
आयोजन समिति ने ब्लॉक प्रमुख आलोक कुमार सिंह, रामविचार पाण्डेय, जयप्रकाश नारायण सिंह, मारकण्डे सिंह, गंगा सागर सिंह को ऊनी साल से सम्मानित किया।
इस मौके पर खण्ड विकास अधिकारी फैसल आलम, सहायक विकास अधिकारी पंचायत मनोज कुमार सिंह, ग्राम पंचायत सचिव श्याम प्रसाद, पूर्व विधायक गोरख पासवान, पूर्व विधायक धनन्जय कन्नौजिया, भाजपा मण्डल अध्यक्ष दीलिप सिंह, भाजपा मण्डल अध्यक्ष शशिप्रकाश चौरसिया, ग्राम प्रधान देवेन्द्र यादव, दिनेश्वर सिंह, भाजपा की महिला नेत्री रीना राव, देवेन्द्र कुमार गुप्ता एडवोकेट, अशोक यादव, अभिषेक सिंह क्रांति, तेजप्रताप सिंह, बीरेन्द्र यादव, ढोढ़ा मास्टर, ओमप्रकाश गुप्ता, अवनीश सिंह, सुभाष यादव, परवेज कमाल पाशा एडवोकेट, राहुल सिंह, कुवंर बहादुर सिंह आदि लोग मौजूद रहे। लोकगीत गायक साहब लाल यादव, सखीचन्द राजभर, कवि नन्द जी नन्दा ने शहीदी गीत व काटय प्रस्तुत कर सभी का मन मोहा। समारोह की अध्यक्षता जयप्रकाश नारायण सिंह एवं संचालन श्याम नारायण सिंह ने किया।
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