गंगा तटवर्ती गावों में  घरों  पर चलने लगे हथौड़े

मझौवा (बलिया) से सुमित सिंह धूनी

बैरिया तहसील क्षेत्र के केहरपुर गावं में कटान के दहशत से सहमे लोगो ने अपने घरों पर हथौड़ा चलाना शुरू  कर दिया है. हालांकि  गंगा के घटते जल स्तर से लोगो को थोड़ा चैन जरूर मिला है, फिर भी भय बरकरार है. क्योंकि बाढ़ के उतार चढ़ाव का समय खत्म नहीं हुआ है. गांव के जय प्रकाश ओझा का कहना कि इससे पहले कि गंगा की विकराल धारा हमारे घरों को अपने आगोश में ले उससे पहले घरों को तोड़ ईंट, पत्थरों और समानों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना बेहतर होगा.

योगेंद्र ओझा ने कहा कि बाढ़ विभाग गांवों को बचाने केलिए संजीदा होता तो आज हम अपने पुरखों की बनाईं इमारतों पर हथौड़े चलाने की नौबत नहीं आती. रामनाथ ओझा ने कहा कि हमने गंगा के कटान की विनाशलीला गायघाट से लेकर श्रीनगर तक देखी है. कटान देख हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं. इसी क्रम में राहुल बसर का कहना है कि केहरपुर में बाढ़ विभाग की उदासीनता के कारण इस गांव में पानी टंकी से मिलने वाले शुद्ध जल और प्राथमिक विद्यालय में पढ़ रहे बच्चो के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है. वही दुबेछपरा, गोपालपुर, उदई छपरा को बचाने के लिए सरकार ने 29 करोड़ खर्च कर स्पर व रिंगबंधा बनाकर गावों को  बचाने का काम कर रही है. केहरपुर के लिए जब गंगा का जल स्तर बढ़ गया तब 17 जुलाई से स्लीपिंग का काम शुरू हुआ.

समाजसेवी व छात्रनेता पवन ओझा ने कहा कि अब गंगा माई जानस की कतना कारगर होई केहरपुर में चल रहल स्लीपिंग के काम, कैसे बची हमनी के गांव. जिलापंचायत सदस्य प्रतिनिधि गुड्डू गुप्ता कहते है कि गंगा की दूरीे का फासला घर से महज 10 मीटर ही बचा है. ऐसे में अब गंगा के कटान से गाँव  को बचना मुश्किल सा दिखता है,  क्योंकि गांव को बचाने में बाढ़ विभाग सौतेला व्यवहार कर रहा हैं.

This post is sponsored by ‘Mem-Saab & Zindagi LIVE’