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जिलाधिकारी ने मछुआ समुदाय की समितियों/नाव मालिकों के साथ बैठक की
बलिया। बाढ़ के दौरान नाव की समुचित व्यवस्था व उसके संचालन के लिए जिलाधिकारी सुरेंद्र विक्रम ने बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में मछुआ समुदाय की समितियों/नाव मालिकों के साथ बैठक की. उन्होंने नाव मालिकों के साथ बाढ़ के दौरान राहत कार्य पर चर्चा की और आवश्यक सुझाव भी लिये. आश्वस्त किया कि किसी का भी पेमेंट लम्बित नही रहेगा.
जिलाधिकारी ने कहा कि नावों के सम्बन्ध में व्यवस्थित व पक्की जानकारी किसी के पास नहीं हैं. इसलिए बचाव व राहत कार्य में लगने वाली नावों का पंजीकरण जिला पंचायत के द्वारा हफ्ते भर के अंदर किया जाएगा. प्रशासन के पास नाव मालिकों का एक डाटाबेस होगा. सभी नाविकों को पहचान पत्र भी जारी होगा. नावों पर सफेद पेंट से पंजीकरण संख्या व अन्य विवरण लिखा जाएगा, ताकि दूर से ही अंधेरे में भी पढ़ा जा सके. जिलाधिकारी ने कहा कि नाविकों का काफी कम प्रीमियम पर बीमा कराने की भी बात कही. बैठक में एडीएम मनोज सिंघल, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत रमेश सिंह, इंस्पेक्टर सुनील यादव, महावीर सिंह आदि उपस्थित थे.
बाढ़ मित्र की भूमिका में होंगे लोकल गोताखोर
जिलाधिकारी ने नाव मालिकों को बताया कि अपने क्षेत्र के कुछ गोताखोरों के बारे में जानकारी देंगे, ताकि उनको प्रशिक्षण देकर ट्रेंड किया जा सके. यही गोताखोर बाढ़ मित्र की भूमिका में होंगे और इनको भी अलग से मानदेय दिया जाएगा. नाविकों को भी बचाव सम्बन्धी सामान दिये जाएंगे.
खाते में जाएगा नाव का पैसा
जिलाधिकारी ने बताया कि इस बार नाव का पैसा सीधे खाते में जाएगा. इसके लिए जरूरी है कि सभी नाव मालिक अपना नाम, पिता का नाम, थाना व तहसील सहित पता, बैंक खाता संख्या व आईएफसी कोड, बैंक पासबुक की फोटोकॉपी व अपनी पासपोर्ट साईज की फोटो प्रशासन या जिला पंचायत के जेई को उपलब्ध करा दें. जिला पंचायत के जेई द्वारा नाव का पंजीकरण किया जाएगा तभी ये विवरण दे देंगे. नाव वाले भी इस पर खुशी जाहिर किए.
नाव का किराया निर्धारित
जिलाधिकारी ने बताया कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष बचाव व राहत कार्य में लगने वाली नाव का किराया बढ़ा दिया गया है. इंजन से चलने वाली बड़ी नाव का 2500 रुपये व मझोली नाव का 1900 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाएगा. बिना इंजन वाली बड़ी नाव का 1500 तथा मझोली नाव का 1000 रूपये निर्धारित किया गया है. जिलाधिकारी ने बताया कि बड़ी नाव पर चार श्रमिक तथा छोटी नाव पर दो श्रमिकों का रहना अनिवार्य होगा. स्पष्ट किया कि बहुत विशेष परिस्थिति में ही छोटी नाव का प्रयोग होगा. नाव का प्रतिदिन का किराया बढ़ाये जाने से नाव मालिकों ने भी जिला प्रशासन के प्रति हर्ष जताया.