पीएचसी कोटवा के इर्द गिर्द ही मौजूद है जापानी इन्सेफ्लाइटिस फैलाने के संसाधन

बैरिया (बलिया)। जी हाँ, यह जानकर आपको हैरत होगी कि एक तरफ जहां इन्सेफलाइटिस दूर करने के राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाये जा रहे हैं. प्रधान मन्त्री तक इसके लिए गम्भीर बताए जा रहे हैं. वहीं बैरिया ब्लाक के इकलौते प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कोटवा मे यह रोग फैलाने के संसाधन विगत चार पांच वर्षों से आलरेडी उपलब्ध है. इसे दूर करने के लिये सिर्फ कागजी खानापूर्ति भर की जाती है. उल्टे मर्ज बढता ही जा रहा है.

बता दें  कि यह बीमारी तराई इलाकों व सूअर आदि की गंदगी वाले स्थानों पर जल्दी और तेजी से फैलती है. पीएचसी कोटवा की चहारदीवारी से एक दम सटे हुए कुछ लोग अनधिकृत ढंग से कब्जा जमा कर वही सूअर बाड़े बना लिए हैं. गंदगी का आलम यह है कि प्रसव कक्ष से मात्र 25 मीटर व बच्चों के टीकाकरण कक्ष के महज पांच से सात मीटर की दूरी पर यह गंदगी व उसमे सूअर शावकों का कलरव हमेशा चलता रहता है. अस्पताल परिसर मे सूअरबाड़े से निकलने वाले दुर्गन्ध का भभूका 24×7 अनवरत चलता आ रहा है.

अस्पताल पर पहुंच कर जब इस दुर्व्यवस्था और वहीं बच्चों के जन्म व टीकाकरण के दौरान रोग को फैलने की आशंकाओं के बाबत जानकारी का प्रयास किया गया तो वहां पर एमओआईसी डॉ. देवनीति उपस्थित नहीं थे. पता चला कि वह अवकाश पर चल रहे हैं. वहाँ उपस्थित कर्मचारियों ने बताया कि अभी पिछले सप्ताह ही जापानी इन्सेफलाइटिस रोग से बचाव का टीकाकरण समाप्त हुआ है. यहाँ यह रोग फैलने की आशंका तो शत प्रतिशत है, लेकिन भगवान की ही कृपा है कि इस बीमारी से ग्रस्त कोई रोगी बैरिया ब्लाक मे चिन्हित नहीं हुआ. यहाँ से गंदगी पूर्ण वातावरण व अवैध कब्जाधारियों को हटवाने के लिये कई बार स्थानीय उपजिलाधिकारी, थानाध्यक्ष व सीएमओ को लिखा गया. लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं हुई.

कई बार अपनी नेतागीरी चमकाने के लिये समाजसेवी लोग भी पत्रक देकर अपने समाजसेवी होने का एक प्रमाण भर बटोर लेते हैं. हम छोटे कर्मचारी इसमे क्या कर सकते हैं. डॉक्टर साहब आएंगे तो उन्हीं से पूछ लीजिएगा. हम सब को यह पता है कि इस बारे में कई बार लिखा पढी हुई है. कुल मिला कर जिस स्वच्छता व रोग को देश मे पनपने न देने के प्रति देश के प्रधानमन्त्री तक कटिबद्ध हैं, वहीँ इस तरह के बीमारी के केन्द्र मे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चल रहा है. जहां बच्चों का जन्म होता है. विभिन्न रोगों से बचाव का टीकाकरण होता है. बीमार इलाज कराने आते हैं. दूर करने के उपाय में विभाग बस कागजी खानापूर्ति भर कर लेता है.

 

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