रविवार की सुबह नदी का जलस्तर 58.38 था जो चौबीस घण्टे के भीतर 20 सेमी घटाव के साथ सोमवार की सुबह 58.18 मीटर पर बह रही है. इसके बाढ़ पीड़ितों की परेशानियां कम नहीं हुई है. क्षेत्र के देवपुर,नवका गांव,धूपनाथ का डेरा, वैद्यनाथ का डेरा आदि गांवों में बाढ़ से अभी भी जलमग्न है. बाढ़ से घिरे गांवों के रहवासियों को घोर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. नदी सरयू के लगातार बढ़ाव की वजह से इस क्षेत्र के विभिन्न गांव अभी भी जलमग्न है.
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पत्रक में बलिया जनपद के सूखाग्रस्त एवं बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों को चिह्नित कर वहां की समस्याओं के समाधान हेतु मांग की गई है. इसमें कहा गया है कि बलिया जनपद की भौगोलिक स्थिति ऐसी है की तीन तरफ से नदियों से घिरा हुआ है. नदियों के बाढ़ को रोकने वाले बंधे इतने पुराने और जर्जर हो चुके हैं कि इस जनपद के लोग प्रत्येक वर्ष बाढ़ की विभीषिका को झेलने को मजबूर हैं.
बाढ़ पीड़ितों ने सांसद से का ध्यान अपेक्षित करते हुये कहा कि नेताजी गांव से बाढ़ का पानी तो निकल गया है लेकिन गांव के इर्द गिर्द हुये जलजमाव के कारण सड़न होने से दुर्गंध व अन्य बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो गया है. स्वास्थ्य विभाग इससे बचाव निजात पाने के लिये गांव में कहीं पर भी छिड़काव नहीं किया गया. ग्रामीणों में विषैले जीव जंतुओं का डर बना हुआ है.
बताते चलें कि शनिवार को अहले सुबह से गोपालपुर गांव में गंगा नदी के बाढ़ का पानी परमहंस कुम्हार के घर के पास से घुसने लगा है. गांव में अफरा-तफरी का माहौल है. गोपालपुर गांव के निचले हिस्से में पानी फैलने लगा है ऐसे में निचले हिस्से के दहारी राम भिखारी राम दशरथ राम मोहन राम तेजू राम नवमी राम आदि लोग अपने परिवार पशु और सामान के साथ दुबे छपरा एनएच 31 के किनारे सुरक्षित स्थानों पर जाने लगे हैं.