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बालक भगवान के रूप होते हैं, जिस प्रकार भगवान भाव के भूखे होते है, उसी प्रकार यदि बालकों के भावना को ध्यान में रखते हुए उससे सुमधुर व्यवहार किया जाए तो वह अपना, अपने परिवार एवं राष्ट्र में अहम योगदान दे सकता है. उक्त उद्गार क्षेत्र के अड़रा, घोड़हरा स्थित एस़जी़ पब्लिक स्कूल के प्रबंधक अन्नपूर्णा नंद तिवारी ने सोमवार को बाल दिवस समारोह के अवसर पर व्यक्त किया.